लखनऊ : प्रदेश में स्वास्थ्य बीमा योजना को लागू करने का खाका तैयार हो गया है। 30 अप्रैल को गांवों में जहां खुली बैठक होगी वहीं अगले दिन से लाभार्थियों का घर-घर जाकर डाटा जुटाया जाएगा। ऐसे में गरीबों को मुफ्त इलाज का लाभ हासिल करने के लिए दर-दर भटकना नहीं होगा।
योजना के स्टेट नोडल ऑफीसर डॉ. एके सिंह मुताबिक, राज्य में गरीबों को मुफ्त इलाज की सुविधा जल्द मिलेगी। इसके लिए सोशियो इकोनॉमिक कॉस्ट सेंसस (एसइसीसी) का आधार लिया जाएगा। एसइसीसी में शामिल परिवारों को ही योजना के दायरे में लिया जाएगा। इसके लिए 30 अप्रैल को प्रदेशभर की 59 हजार ग्राम पंचायतों में खुली बैठक होंगी, जिसमें लाभार्थियों के नामों की घोषणा होगी। वहीं एक मई से डोर-टू-डोर अभियान चलेगा। टीमें पांच दिन में घर-घर जाकर लाभार्थियों का सत्यापन करेंगी। वहीं उनका राशनकार्ड-मोबाइल नंबर जुटाएंगी। इसी डाटा बैंक के आधार पर लाभार्थियों की आइपी क्रिएट होगी, ऐसे में उन्हें योजना लाभ हासिल करने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।
स्वास्थ्य अफसर एवं प्रधान रहेंगे मौजूद : खुली बैठक में स्वास्थ्य विभाग के अफसर, ग्राम प्रधान, एएनएम, आशा व स्थानीय शिक्षक मौजूद रहेंगे। ग्राम विकास अधिकारी व लेखपालों की भी ड्यूटी रहेगी। योजना की निगरानी व क्रियान्वयन के लिए स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त निदेशक स्तर के अफसरों को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
प्रधानमंत्री के नाम हुई योजना : योजना का नाम तीसरी बार बदला गया है। बजट सत्र में आयुष्मान भारत नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम (एबीएनएचपीएस) नाम से घोषणा की गई। मार्च में योजना का नाम आयुष्मान भारत नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन मिशन (एबीएनएचपीएम) कर दिया गया। वहीं 14 अप्रैल को योजना का नया नाम प्रधानमंत्री राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन (पीएमआरएसएसएम) में तब्दील कर दिया गया है। यहां के दस्तावेजों में इसका नाम बदलने की प्रक्रिया जारी है। वहीं केंद्र से इसी नाम से आदेश जारी होने लगे हैं।
एक करोड़ परिवार की सूची होगी चस्पा, हटा आधार कार्ड : एसइसीसी के हिसाब से यूपी में करीब एक करोड़ 18 लाख परिवार योजना के हकदार हैं। लाभार्थियों की संख्या करीब छह करोड़ हैं। इसमें सत्यापन के वक्त मृतकों के नाम हटाए जाएंगे। अब योजना में आधार कार्ड से लिंक करने की बाध्यता खत्म कर दी गई।
40 फीसद आबादी होगी कवर : योजना के तहत देश की करीब 40 फीसद आबादी को कैशलेस इलाज उपलब्ध कराने का प्लान है। गरीब मरीजों को पांच लाख तक का मुफ्त इलाज मिलेगा। इसके लिए योजना में सभी सरकारी व कई निजी अस्पतालों को जोड़ा जाएगा।