लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सूचना के अधिकार अधिनियम की व्याख्या करते हुए कहा है कि इस एक्ट के तहत हाईस्कूल और इंटरमीडियट कक्षा के परीक्षार्थियों को उनकी उत्तर पुस्तिकाओं को देखने व प्रमाणित प्रति प्राप्त करने का अधिकार है।
कोर्ट ने हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षाओं में लाखों छात्रों के बैठने और उनकी कॉपियां एक अवधि के बाद नष्ट कर दिए जाने के तथ्य पर ध्यान देते हुए निर्देश दिया है कि ऐसी परिस्थिति में आरटीआइ के तहत आए हाईस्कूल और इंटर के छात्रों के प्रार्थना पत्र पर शीघ्रता से कार्रवाई की जानी चाहिए।
यह आदेश जस्टिस अजय लांबा और जस्टिस अनंत कुमार की बेंच ने जन सूचना अधिकारी, माध्यमिक शिक्षा परिषद व अन्य की याचिका पर पारित किया। याचियों ने राज्य सूचना आयुक्त के 17 जुलाई, 2009 के एक आदेश को चुनौती दी थी।
इस आदेश में सूचना आयुक्त ने हाईस्कूल और इंटर के कुछ छात्रों के आवेदन पर निर्णय लेते हुए माध्यमिक शिक्षा परिषद को छात्रों की जांची गई उत्तर पुस्तिकाओं की कॉपियां देने का निर्देश दिया था। याचियों का कहना था कि आरटीआइ के तहत परीक्षार्थियों को उनकी उत्तर पुस्तिकाओं का निरीक्षण कराने या प्रमाणित प्रतियां देने का प्रावधान नहीं है। याचिका में हाईस्कूल और इंटर की परीक्षा में लाखों छात्रों के बैठने का भी हवाला दिया गया और साथ ही एक समय सीमा के बाद कॉपियां नष्ट किए जाने की बात भी कही गई।
याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि किसी परीक्षा से संबंधित उत्तर पुस्तिकाएं आरटीआइ की धारा- 8(1) के तहत आरटीआइ से छूट की श्रेणी में नहीं आतीं। बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का जिक्र करते हुए कहा कि परीक्षार्थी को अपनी उत्तर पुस्तिकाओं का निरीक्षण करने व उनकी प्रतियां प्राप्त करने का अधिकार है। हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि कॉपी जांचने वाले परीक्षक की जानकारी देने के लिए अथॉरिटी बाध्य नहीं है। साथ ही कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि यदि नियमों के मुताबिक कॉपियां सुरक्षित रखने की एक समय सीमा है तो उस समय सीमा के भीतर ही सूचना पाने का अधिकार आवेदक को होगा।