कोर्ट ने कहा-
• लड़की की सुरक्षा करेंगे, लेकिन ऐक्ट में कोई बदलाव नहीं होगा।
• लड़की के पैरंट्स प्रभावशाली राजनीतिक परिवार के लोग हैं, जिन्होंने उसकी जबरन शादी कराई है।
• लड़की की जान को खतरा है। वह किसी और को पसंद करती थी और वह उसकी जाति का नहीं था।
• वह शादी के बाद भागकर दिल्ली आई है। लड़की इंजिनियरिंग की स्टूडेंट है और पढ़ना चाहती है।
• जीवनसाथी चुनने का अधिकार मौलिक अधिकार है और इसके लिए शफीन जहां के केस का हवाला दिया गया, जिसमें किसी को पसंद करने का अधिकार मौलिक अधिकार माना गया है।
• कोर्ट से गुहार लगाई गई कि लड़की की शादी खारिज की जाए और ऐक्ट की धारा-5(2) को गैर संवैधानिक घोषित किया जाए।
• अगर लड़की ससुराल नहीं जाना चाहती है तो वह उसकी मर्जी है और कोई उसे बाध्य नहीं कर सकता।
• धारा-12 (1)(सी) को पढ़िए। ऐक्ट की धारा 12 (1) (सी) में साफ लिखा है कि अगर पैरंट्स द्वारा शादी के लिए धोखे से या जबरन सहमति ली गई तो शादी खारिज की जा सकती है। इसका साफ मतलब है कि सहमति जरूरी है।
• अगर फ्रॉड सहमति है तो इसका मतलब है कि सहमति नहीं ली गई है। ऐसे में शादी खारिज की जा सकती है। हिंदू मैरिज ऐक्ट की धारा 5 और 7 को गैर संवैधानिक करार नहीं दिया जा सकता।
नई दिल्ली : हिंदू मैरिज ऐक्ट में शादी से पहले सहमति लेने के प्रावधान स्पष्ट किए जाने के लिए दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐक्ट में जो प्रावधान है, उससे साफ है कि अगर सहमति नहीं है तो शादी खारिज की जा सकती है। ऐसी स्थिति में ऐक्ट की संवैधानिकता पर सवाल उठाने वाली दलील पर सुनवाई नहीं हो सकती।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक की एक लड़की की ओर से अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि उसकी मर्जी के खिलाफ घर वालों ने शादी कराई है। उसने याचिका में मांग की है कि हिंदू मैरेज ऐक्ट के तहत किसी भी लड़का-लड़की की शादी से पहले उनकी सहमति लेनी अनिवार्य बनाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने ऐक्ट की संवैधानिकता पर सवाल उठाने वाली दलील को ठुकरा दिया और कहा कि सिर्फ लड़की के प्रोटेक्शन से संबंधित मामले को देखेंगे। दरअसल, लड़की ससुराल छोड़कर दिल्ली आ गई है और उसने सुप्रीम कोर्ट में सुरक्षा की गुहार लगाई है। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया है कि वह लड़की की सुरक्षा सुनिश्चित करे। साथ ही कहा है कि अगर लड़की को शादी कैंसल करानी है तो वह सिविल कोर्ट जाए।
याचिकाकर्ता लड़की की वकील इंदिरा जय सिंह ने कहा कि हिंदू मैरिज ऐक्ट में फ्री सहमति का प्रावधान होना चाहिए। जिसपर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और धनंजय वाई चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय बेंच ने कहा कि ऐक्ट में जो प्रावधान है, उससे साफ है कि सहमति से शादी होती है और अगर सहमति नहीं है तो उस आधार पर शादी तोड़ी जा सकती है। चीफ जस्टिस ने कहा कि जहां तक लड़की के पति के घर न जाने का सवाल है तो कोई भी उसे इसके लिए बाध्य नहीं कर सकता। उन्होंने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वह लड़की की सुरक्षा करे। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 5 फरवरी की तारीख तय की है।