संसदीय कमिटी ने दिया सरकार को सुझाव, जल्द हो सकता है बड़े बदलाव का ऐलान
• नई दिल्ली : देश में अधिकारियों और कर्मचारियों को काम करने के दौरान ट्रेनिंग देने की परंपरा बेहद कमजोर है। अगर ट्रेनिंग मिलती भी है तो वह किताबी है जिसका असर कामकाज पर नहीं दिखता। ऐसे में असल मुद्दों से जुड़े क्वॉलिटी ट्रेनिंग सिस्टम को अपनाने की जरूरत है। प्रशासनिक सुधार के लिए बनी संसदीय कमिटी ने सरकार को सुझाव दिया है कि अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए बेहतर रिसर्च हो इसके लिए इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन जैसी संस्थाओं को अधिक स्वायत्त तथा वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर बनाया जाए।
संसदीय कमिटी की यह रिपोर्ट उस वक्त आई है जब मोदी सरकार केंद्रीय कर्मचारियों को जॉब में आने के समय और बीच में ट्रेनिंग देने की सालों पुरानी समस्या को बदलने की प्रक्रिया में है। इसके तहत मोदी सरकार ने दो साल पहले आईएएस अधिकारियों के ट्रेनिंग सिस्टम में बदलाव लाते हुए पिछले साल इसकी शुरूआत की थी। पहले सभी अधिकारियों को स्टेट काडर मिलता था जहां वह काम शुरू करते थे। लेकिन अब तीन महीने केंद्र में काम करना अनिवार्य कर दिया गया है ताकि यहां हो रहे कामों के बारे में जानकारी मिल सके। वहीं सूत्रों के अनुसार सरकार की कमिटी ने इस तरह के बदलाव की अनुशंसा की है। इसमें कहा गया है कि अधिकारियों और कर्मचारियों को समय-समय पर दूसरे मंत्रालयों में भी काम समझने के लिए भेजा जाए ताकि वे मल्टीटास्किंग कर सकें। अधिकारियों और कर्मचारियों को अधिक से अधिक व्यावाहारिक कामों की जानकारी दी जाए और इस हिसाब से इनके कोर्स को तैयार किया जाए। देश में कुछ बेहतर कामों को नियमित रूप से चिह्नित किया जाए और इसके सफल अमल के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों को इस प्रक्रिया का हिस्सा बनाएं।
सिविल सर्विस डे पर हो सकता है बदलाव का ऐलान : सूत्रों के अनुसार 21 अप्रैल को सिविल सर्विस डे के मौके पर केंद्र सरकार अधिकारियों और कर्मचारियों के नौकरी में आने पर ट्रेनिंग और बाद में नियमित ऑन जॉब ट्रेनिंग के लिए नये बदलाव के प्रारूप का ऐलान कर सकती है।