नई दिल्ली : जीएसटी लागू कर देश की परोक्ष कर व्यवस्था को बदलने के बाद सरकार ने अब नया आयकर कानून लाने की दिशा में कोशिशें तेज कर दी हैं। माना जा रहा है कि संसद के मानसून सत्र में नए प्रत्यक्ष कर कानून के लिए विधेयक पेश किया जा सकता है। नए आयकर कानून में मध्यम वर्ग और उद्योग जगत को राहत के भी आसार हैं।
■ नए विधेयक से मध्यम वर्ग और उद्योग जगत को राहत संभव
■ टास्क फोर्स तैयार कर रही है नए प्रत्यक्ष कर कानून का मसौदा
■ 31 मई, 2018 तक रिपोर्ट सौंपेगी टास्क फोर्स
सरकार ने नए प्रत्यक्ष कर कानून का मसौदा तैयार करने के लिए जिस टास्क फोर्स का गठन किया था, उसने एक शुरुआती खाका तैयार कर लिया है। टास्कफोर्स 31 मई 2018 तक इस विधेयक का मसौदा तैयार कर वित्त मंत्रलय को सौंप देगी। इसके बाद कानून मंत्रलय से राय-मशविरा कर वित्त मंत्रलय इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजेगा। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद सरकार मानसून सत्र में इस विधेयक को संसद में पेश कर सकती है।
सूत्रों ने कहा कि केंद्र की कोशिश इस विधेयक को शीतकालीन सत्र में ही पारित कराने ही होगी ताकि अगले साल चुनाव में जाने से पहले नए आयकर कानून के जरिए मध्यम वर्ग और उद्योगों को राहत दी जा सके। मौजूदा आयकर कानून 1961 में बना था। तब से लेकर अब तक इसमें कई बार संशोधन हो चुके हैं। इसके चलते यह कानून काफी जटिल हो गया है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल एक-दो सितंबर को नई दिल्ली में शीर्ष टैक्स अधिकरियों के ‘राजस्व ज्ञान संगम’ में मौजूदा आयकर कानून की समीक्षा कर इसका मसौदा पुन: तैयार करने की जरूरत पर बल दिया था।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के सदस्य (विधायी) अरविंद मोदी के नेतृत्व वाली यह छह सदस्यीय टास्क फोर्स विभिन्न देशों में प्रचलित प्रत्यक्ष कर प्रणालियों और सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय पद्धतियों का अध्ययन कर देश की आर्थिक आवश्यकताओं के हिसाब से नए कानून के प्रावधान तैयार कर रही है।