सरकारी कर्मचारियों को पेंशन निकालने में आधार जरूरी किये जाने पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया। दूसरी ओर, आधार के लिए एकत्र किये गए बायोमीटिक डाटा की सुरक्षा के बारे में सरकार ने कहा कि डाटा सेंटर पांच फिट चौड़ी और 13 फिट ऊंची दीवार से घिरा है। उसकी सुरक्षा में संदेह की गुंजाइश नहीं है। सरकार ने कहा कि डेटा सेंटर (सीआइडीआर) के इंफ्रास्ट्रक्चर के बारे में चार मिनट का वीडियो है जिससे उसकी सुरक्षा के बारे में पता चलता है। इसके अलावा सरकार ने आधार की सुरक्षा और अन्य तकनीकी पहलुओं पर कोर्ट की जिज्ञासाओं का जवाब देने के लिए यूआइडीएआइ के सीईओ को पावर प्वाइंट प्रेजेन्टेशन देने की इजाजत भी मांगी। मामले में गुरुवार को भी बहस जारी रहेगी।
सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधानपीठ आधार की वैधानिकता पर बहस सुन रही है। बुधवार को सरकार की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने पक्ष रखना शुरू किया। वेणुगोपाल जब भ्रष्टाचार और संसाधनों का लीकेज रोकने के लिए आधार लागू करने को सही ठहरा रहे थे तभी पीठ ने सरकारी कर्मचारियों के पेंशन निकालने के लिए आधार जरूरी किये जाने पर सवाल उठाया। कोर्ट ने कहा कि वे सरकार के ही पूर्व कर्मचारी हैं, उनकी पहचान के बारे में कोई संदेह नहीं है। इसमें फर्जी पहचान का क्या मतलब है। वे सरकार के कर्मचारी हैं। पेंशन किसी व्यक्ति की अपनी कमाई है। आधार न होने पर उसे पेंशन से कैसे वंचित किया जा सकता है। क्या ये सरकारी पैसे की चोरी का मामला नहीं है। इस पर वेणुगोपाल ने कहा कि संशोधन निरंतर प्रक्रिया है और इस तरह की समस्याओं का भी संशोधन से हल निकाला जाएगा। अटार्नी जनरल ने आधार की तरफदारी करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगी है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बयान का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि एक रुपये में 15 पैसे ही गरीबों तक पहुंचते हैं। वेणुगोपाल ने कहा कि आधार से सरकार ने फर्जी पैन कार्ड, राशन कार्ड और बीपीएल कार्ड आदि पर रोक लगाई है। उन्होंने कहा कि जीवन के दो मुख्य अधिकार हैं। भोजन का अधिकार और निजता का अधिकार। उन्होंने कहा कि मेरी राय में भोजन के अधिकार को निजता के अधिकार पर वरीयता दी जानी चाहिए। आधार से सरकारी योजनाओं का लाभ उसके असली हकदार तक पहुंच रहा है।