■ प्रदेश में जो एक जनवरी 2011 के बाद बने, उन्हें फौरन हटाना होगा
■ इससे पहले के निर्माणों को छह माह में करना होगा शिफ्ट
इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम निर्णय में प्रदेश भर में राजमार्ग, सड़क व अन्य रास्तों पर अतिक्रमण कर बनाए गए धार्मिक स्थलों को हटाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि एक जनवरी 2011 के बाद अतिक्रमण कर बने सभी धार्मिक स्थलों को तत्काल हटाया जाए। वहीं जनवरी 2011 के पहले अतिक्रमण कर बने धार्मिक स्थलों को छह माह में उन्हीं की भूमि (जिसने धार्मिक स्थल बनवाया है, उसकी भूमि पर) पर शिफ्ट किया जाए, क्योंकि सड़क पर अतिक्रमण करने का किसी को मौलिक या वैधानिक अधिकार नहीं है।
हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव को सख्त दिए हैं कि सभी जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक से इस आदेश का पालन करवाने का जारी करें। इस आदेश को न मानने वाले अधिकारी आपराधिक अवमानना के दोषी माने जाएंगे। कोर्ट ने सभी डीएम को यह भी आदेश दिया है कि वे दो माह के भीतर कार्रवाई की सूचना विभाग को सौंप दें, ताकि मुख्य सचिव 28 मई को हाईकोर्ट में रिपोर्ट दाखिल कर सकें। यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने फतेहपुर के महमूद हुसैन की याचिका पर दिया है।
महमूद हुसैन ने अपनी खेती की जमीन पर मस्जिद और मदरसा बना लिया था, इस पर समाज के लोगों ने नमाज पढ़ने की डीएम से अनुमति मांगी थी। डीएम ने अनुमति देने से इन्कार कर दिया था। महमूद हुसैन ने डीएम के इस आदेश को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनौती दी थी। अपने आदेश में कोर्ट ने कहा है कि 10 जून 2016 के बाद जमीन पर अतिक्रमण कर हुए धार्मिक स्थल के निर्माणों की जवाबदेही जिलाधिकारी, एसडीएम, एसएसपी और पुलिस क्षेत्रधिकारी की होगी। कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि पब्लिक रोड, स्ट्रीट, फुटपाथ, सर्विस लेन और गली यानी सभी रास्तों पर अवरोध उत्पन्न न होने पाए, इसके लिए योजना बनाई जाए। कोर्ट ने इस संबंध में मुख्य सचिव से तीन महीने में अनुपालन रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
कृषि भूमि सरकार की, उस पर धार्मिक निर्माण अवैध : कोर्ट ने फतेहपुर के महमूद हुसैन की ओर से कृषि भूमि पर बनाई गई चौरयानी गांव में मस्जिद गरीब नवाज को अवैध करार दिया है और डीएम को उस स्थल पर नमाज पढ़ने की अनुमति न देने को सही माना है। कोर्ट ने कृषि भूमि बहाल करने का आदेश दिया है।