बजट के जरिये आयकर में छूट की सीमा बढ़ाने की मांग कर रहे सरकारी कर्मचारियों को यह उम्मीद पूरी न होने से झटका लगा है। प्रदेश के कर्मचारी विभिन्न भत्ताें पर आयकर लगाये जाने से भी निराश हैं। दूसरी तरफ ऊर्जा क्षेत्र के विशेषज्ञों ने भी बजट को हताश करने वाला करार दिया और बजट की व्यवस्थाओं के जरिये ऊर्जा क्षेत्र में निजीकरण बढ़ने की भी आशंका जतायी।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने कहा कि आयकर छूट की सीमा न बढ़ाये जाने से राज्य कर्मचारियों के लिए जीवन यापन की समस्या खड़ी हो गई है।
कर्मचारी पहले से खर्चो के बोझ तले दबे थे, जबकि मानक कटौती पर कैंची चलाये जाने से उनका नुकसान और बढ़ गया है। परिषद के महामंत्री शिवबरन सिंह यादव ने बताया मानक कटौती की धनराशि को कुल आय से घटाकर शेष पर नियमानुसार कर का निर्धारण किया जाता रहा है लेकिन, अब डेढ़ लाख रुपये में से 40 हजार रुपये को छोड़कर शेष पर कर विवरण देना होगा। इसी तरह अप्रत्यक्ष मानक कटौती भी केवल 40 हजार रुपये रह गई है। परिषद पदाधिकारियों ने भत्ताें पर आयकर लगाने के विरोध में आंदोलन की चेतावनी दी है। सचिवालय संघ के अध्यक्ष यादवेंद्र मिश्र ने बजट को कर्मचारियों व अधिकारियों के लिए आशा के विपरीत ठहराया। आयकर में छूट की सीमा न बढ़ने को उन्होंने भी निराशाजनक कहा। दूसरी तरफ राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बजट को ऊर्जा क्षेत्र के लिए ऊंट के मुंह में जीरा करार देते हुए दीन दयाल ग्राम ज्योति योजना के लिए 18,800 करोड़ और सौभाग्य योजना के लिए 2750 करोड़ रुपये के प्रावधान को कम ठहराया। सौर ऊर्जा के लिए बजट घटाने पर सवाल उठाए और निजीकरण बढ़ने की आशंका जताई। ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने कहा कि वित्त मंत्री ने प्रत्येक नौकरी पेशा कर्मचारी से औसतन 76 हजार रुपये और उद्योग क्षेत्र से 26 हजार रुपये प्रति व्यक्ति टैक्स मिलने की तो बात कही लेकिन, नौकरी पेशा कामगारों को आयकर से छूट न देकर और 250 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाले उद्योगों को कारपोरेट टैक्स में 25 फीसद की कमी करके केंद्र सरकार ने कारपोरेट परस्त और कर्मचारी विरोधी नीति का परिचय दिया है।