सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक वयस्क महिला को किसके साथ कहां रहना है यह चुनने का अधिकार है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र की अध्यक्षता वाली पीठ ने बहन और उनके भाई के अदालत में दस्तक देने के बाद महिला को बातचीत के लिए बुलाया था।
ऑनर किलिंग और प्रेमी जोड़ों के खिलाफ कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए खाप पंचायतों से कहा है कि वे समाज के ठेकेदार न बनें। अगर दो वयस्क सहमति से शादी करते हैं तो उसमें कोई भी तीसरा दखल नहीं दे सकता। अगर कुछ गैरकानूनी है तो कानून के मुताबिक कार्रवाई होगी कोई व्यक्ति, संगठन या परिवार उसमें दखल नहीं दे सकता।
सीजेआइ दीपक मिश्र की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि दो वयस्कों की शादी में खाप व अन्य के द्वारा दखलंदाजी के मुद्दे से निबपटने और शादी करने वाले जोड़ों को सुरक्षा दिलाने के लिए वे वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने पर विचार कर रहे हैं। कोर्ट ने इस बारे में सरकार व अन्य पक्षकारों से सुझाव मांगे हैं। कोर्ट मामले पर 16 फरवरी को फिर सुनवाई करेगा।
इससे पहले खाप पंचायत की ओर से पेश वकील ने कोर्ट से कहा कि वे अंतरजातीय और अंतरधार्मिक विवाह के खिलाफ नहीं हैं। वे सिर्फ सपिंड विवाह का विरोध करते हैं क्योंकि उसे भाई-बहन माना जाता है। उन्होंने कहा कि हंिदूू विवाह अधिनियम की धारा 5(5) में भी सपिंड शादियों की मनाही की गई है। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कानून कार्रवाई करेगा। आप कौन होते हैं दखल देने वाले। जब वकील ने कहा कि हम पुराने समय से चली आ रही प्रथा के संरक्षक हैं। समाज के पहरुआ हैं। तो मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणी थी कि आप समाज के ठेकेदार न बनें।