पब्लिक प्रॉविडेंट फंड सहित स्मॉल सेविग्स स्कीम्स के सब्सक्राइबर्स को तय वक्त से पहले अपने एकाउंट्स बंद करने का मौका दिया जा सकता है। सरकार का मानना है कि इससे निवेशकों को रुपये-पैसे की अचानक पड़ने वाली जरूरत से निपटने में आसानी होगी। माना जा रहा है कि इस प्रस्ताव को लागू करने से ऐसी स्कीमों का आकर्षण बढ़ेगा, जिनमें से निवेश भुनाने का रास्ता आसान नहीं होता है। यह प्रस्ताव एक बड़ी रिस्ट्रक्चरिंग का हिस्सा है। 2018-19 के बजट प्रस्ताव में इन सभी योजनाओं को एक ही कानून के दायरे में लाने की बात कही गई थी। इसके तहत गवर्नमेंट सेविंग्स प्रमोशन एक्ट बनाया जाएगा। वहीं पब्लिक प्रॉविडेंट फंड एक्ट 1962, गवर्नमेंट सेविंग्स सर्टिफिकेट एक्ट 1959 और गवर्नमेंट सेविंग्स बैंक एक्ट 1873 को खत्म कर दिया जाएगा।
एक प्रस्तावित संशोधन में सरकार को लोगों को मेडिकल या फाइनेंशियल इमर्जेंसी की स्थिति में स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स के एकाउंट्स तय वक्त से पहले बंद करने की इजाजत देने वाले नियम नोटिफाई करने का अधिकार देने की बात है। संशोधित कानून गार्डियंस को सभी स्कीमों में यह इजाजत भी देगा कि वे नाबालिगों की ओर से फंड डिपॉजिट कर सकें। यह सुविधा अभी इनमें से कुछ ही स्कीमों में है। नाबालिगों को भी अपने उत्तराधिकारी नॉमिनेट करने का अधिकार होगा। प्रस्तावित बदलावों में नॉमिनी के अधिकार स्पष्ट रूप से बताए जाएंगे।
फाइनेंस मिनिस्ट्री के एक सीनियर अधिकारी ने ईटी से कहा, ‘इन बदलावों का मकसद बेकार प्रावधानों को हटाना और सभी स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स से जुड़े नियमों को एकसमान बनाना है।’ एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘परिभाषा के स्तर पर कई अंतर खत्म करने पर ध्यान गया है।’ उन्होंने कहा कि मौजूदा कानून में कुछ प्रावधान एकसमान नहीं थे, जिससे अधिकारियों और छोटे बचतकर्ताओं में भ्रम फैलता था। उन्होंने कहा, ‘एक ही कानून होने से यह मसला हल हो जाएगा और विवाद घटेंगे।’ 15 साल की पीपीएफ स्कीम के मामले में सातवें साल में पहले विदड्रॉल की इजाजत होती है। तब चौथे साल के अंत में रहे बैलेंस का 50 पर्सेंट हिस्सा निकाला जा सकता है। कुछ आपात स्थितियों में पांच वर्षों के बाद खाता बंद करने की इजाजत है, लेकिन दंड स्वरूप ब्याज काट लिया जाता है। नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट्स के मामले में तय वक्त से पहले इसे भुनाने की शर्तें और भी कड़ी हैं। बदलाव लॉ कमीशन की सिफारिशों के आधार पर किए जा रहे हैं। कमीशन ने एक कानून बनाने की सिफारिश की थी। इन बदलावों के साथ सरकार स्मॉल सेविंग्स से जुड़े विवादों के निपटारे के लिए ऑम्बड्समैन की नियुक्ति भी कर पाएगी। सरकार ने कहा है कि इन बदलावों से मौजूदा निवेशकों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इकनॉमिक अफेयर्स सेक्रेटरी सुभाष गर्ग ने शनिवार को एक ट्वीट में कहा था, ’