कैशलेस इलाज के लिए राज्य कर्मचारियों का लंबा इंतजार अब खत्म होने को है। मुख्यमंत्री कार्यालय से निर्देश मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने एसजीपीजीआइ व केजीएमयू सहित अन्य राजकीय मेडिकल कॉलेजों
से योजना शुरू करने की तैयारी कर ली है। प्रमुख सचिव स्वास्थ्य प्रशांत त्रिवेदी ने बताया कि इन संस्थानों में राज्यकर्मियों को यह सुविधा इसी महीने से मिलनी शुरू हो जाएगी।
राज्य कर्मचारी वर्ष 2012 से कैशलेस इलाज की सुविधा दिए जाने की मांग कर रहे थे। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने इस सुविधा के लिए हड़ताल से लेकर न्यायालय तक का दरवाजा खटखटाया। सपा सरकार ने 29 अगस्त, 2016 में कैशलेस इलाज का शासनादेश जारी किए, लेकिन फिर यह योजना प्रक्रियागत विलंब का शिकार हो गई। पिछले साल मार्च में प्रदेश की नयी सरकार ने योजना का नाम पं.दीनदयाल उपाध्याय राज्य कर्मचारी कैशलेस चिकित्सा योजना कर दिया गया, लेकिन काम ने फिर भी रफ्तार नहीं पकड़ी। योजना के लिए राज्य कर्मचारियों का पंजीकरण शुरू किया गया, लेकिन ऑनलाइन व्यवस्था की खामियों ने तेजी लाने के बजाय इसे धीमा कर दिया।
उधर शासन की ओर से योजना के लिए अस्पताल चिह्न्ति किए जाने का काम भी अटक गया। कई महीने से इसी अवस्था में योजना के रुकने से परेशान राज्य कर्मचारियों ने फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दरवाजा खटखटाया। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी की ओर से मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में बताया गया कि शासन की ओर से इस बाबत कड़े और समयबद्ध निर्देश जारी किए जाने के बाद भी अब तक महज 15 फीसद हेल्थ कार्ड ही बन पाए हैं। परिषद ने मुख्यमंत्री से अब तक पंजीकृत कर्मचारियों के साथ योजना शुरू करने की मांग की।