लखनऊ : वेतन समिति का कार्यकाल छह महीने बढ़ाने से राज्य कर्मचारियों में जगी उम्मीद अब नया साल शुरू होने के साथ ही निराशा में बदलने लगी है। इस मियाद का दो तिहाई समय बीतने के बाद भी वेतन विसंगतियों व भत्ताें के निराकरण की रिपोर्ट तैयार न होने से आशंकित कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हस्तक्षेप की मांग की है।
वेतन समिति की चाल से राज्य कर्मचारी इसलिए भी व्यथित हैं कि वेतन समिति के पिछले अध्यक्ष जीबी पटनायक के समक्ष प्रक्रिया पूरी होने और मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद नई अध्यक्ष वृंदा स्वरूप ने सुनवाई का नया दौर शुरू कर दिया है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी बताते हैं कि सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के आंशिक क्रियान्वयन के कारण कर्मचारी वर्ग पहले ही परेशान था, जबकि अब वेतन समिति द्वारा तारीख पर तारीख दिए जाने ने समस्या को और बढ़ा दिया है। राज्य कर्मचारियों को तो फिर भी सातवें वेतनमान का लाभ मिलने लगा है लेकिन कई निगमों में अब भी चौथा, पांचवां और छठा वेतनमान ही लागू है।
समिति के पूर्व अध्यक्ष पटनायक ने वेतन विसंगतियों पर पूरे साल सेवा संघों, महासंघों, परिसंघों के साथ सुनवाई बैठकें कीं, विभागीय अधिकारियों और प्रशासकीय विभागों के साथ वित्त व कार्मिक विभाग के अधिकारियांे ने भी वेतन समिति के साथ वार्ता, बैठक व चर्चा के दौर पूरे किए, लेकिन फिर अचानक पटनायक की जगह वृंदा स्वरूप को अध्यक्ष बनाकर दोबारा प्रारंभिक सुनवाई शुरू कर दी गई।