■ लापता जवान के आश्रित भी हकदार
इसका लाभ तीनों सेना समेत अर्धसैनिक बल के उस लापता जवान या अफसर के आश्रित को भी मिलेगा जिन्हें सक्षम न्यायालय द्वारा कर्तव्य पालन के दौरान वर्णित घटनाओं के समय मृत घोषित किया गया हो।
■ ई-पॉस मशीन स्थापित कर वितरित होगा खाद्यान्न
राज्य सरकार समस्त उचित दर की दुकानों में ई-पॉस मशीन स्थापित कर उनके जरिये लाभार्थियों को खाद्यान्न वितरित करने का निर्णय लिया है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहले चरण में नगरीय क्षेत्र की 1500 उचित दर दुकानों तथा द्वितीय चरण में अवशेष दुकानों में ई-पॉस मशीन के जरिये खाद्यान्न वितरण के प्रयोग की सफलता के बाद सरकार ने पूरे प्रदेश में इसे लागू करने का निर्णय किया। कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। ग्रामीण क्षेत्र की 67628 उचित दर दुकानों में ई-पास मशीनों के जरिये खाद्यान्न वितरण होगा। इसके संचालन के लिये यूपी डेस्को नोडल संस्था होगी।
लखनऊ : सीमा पर देश की रक्षा करने वाले सेना और अर्धसैनिक बल के जवानों और उनके आश्रितों के हक में योगी सरकार ने बड़ा फैसला किया है। उत्तर प्रदेश का कोई जवान अगर सीमा पर लड़ते हुए या आतंकियों से मुकाबला करते हुए, गोलाबारी, विस्फोट, आपदा या महान (ड्यूटी के दौरान) दुर्घटना में शहीद होता है तो राज्य सरकार शहीद सैनिक के किसी एक आश्रित को उसकी योग्यता के अनुसार अनुकंपा के आधार पर नौकरी देगी। यह व्यवस्था एक अप्रैल, 2017 के बाद के शहीद सैनिकों के प्रकरण में लागू होगी। लोकसेवा आयोग के अंतर्गत आने वाले पदों पर नौकरी नहीं मिलेगी।
लोकभवन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में संपन्न हुई कैबिनेट की बैठक में इसके समेत नौ प्रस्तावों को मंजूरी मिल गई। इस बैठक में नगर निकायों की नियुक्तियों के अधिकार, वित्त विहीन विद्यालयों के प्रांतीयकरण और स्पीड गवर्नर के लिए परामर्शदाता चयन के अखिलेश राज के कुल तीन महत्वपूर्ण फैसलों को निरस्त कर दिया गया। सरकार के प्रवक्ता और ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि इसका लाभ थल, जल और वायु सेना में कार्यरत सैनिकों व अधिकारियों के साथ सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), इंडो-तिब्बत बार्डर पुलिस (आइटीबीपी), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी), असम राइफल्स और स्पेशल फ्रंटियर फोर्स जैसे अर्धसैनिक बलों के जवानों के आश्रितों को भी मिलेगा। सरकार ने इस फैसले से शहीदों के बलिदान को नमन करते हुए अपनी आस्था प्रकट की है। इस फैसले में पूरी नियमावली स्पष्ट कर दी गई है। देश की सीमा पर अन्तर्राष्ट्रीय युद्ध, गोलाबारी, बैटल एक्सीडेंट, सीमा पर छिट-पुट आतंकी घटनाओं तथा अराजकतत्वों की गतिविधि में हुई ¨हसा, प्राकृतिक आपदा एवं वाहन दुर्घटना के दौरान शहीदों के आश्रितों को यह लाभ मिलेगा।
आश्रितों की बनाई श्रेणी : आवेदन के समय आश्रित की आयु 18 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए। सेवानिवृत्त की आयु पूरी करने वालों के आवेदन पर विचार नहीं होगा। सरकार ने आश्रितों की उम्र और श्रेणी की वरीयता तय कर दी है। सैन्यकर्मी के विवाहित होने की स्थिति में पत्नी/पति, पुत्र, विधवा पुत्रवधू, अविवाहित पुत्रियां, दत्तक पुत्र-पुत्रियां, माता-पिता के अनुपयुक्तता की स्थिति में आश्रित पौत्र और पौत्रियां भी आश्रित श्रेणी में मानी जाएंगी। सैन्यकर्मी के अविवाहित होने की स्थिति में माता-पिता और अविवाहित भाई-बहन तथा विवाहित भाई सबसे प्रमुख होंगे। पहले आवेदन देने वाले आश्रित को ही वरीयता मिलेगी। फिर उसके द्वारा अपना हक दूसरे आश्रित को हस्तांतरित करने पर ही विचार होगा।
■ रोस्टर के जरिये विभाग देंगे नौकरी : नियुक्ति के लिए तीनों सेनाओं के लिये सैनिक कल्याण विभाग और अर्ध सैनिक बल के लिये गृह विभाग को नोडल विभाग के रूप में तय किया गया है। संबंधित सेना के शहीद परिवार को आवेदन पत्र इन विभागों को देना होगा। इसमें संबंधित आवेदक का नाम, परिवार का विवरण, आयु, शैक्षिक योग्यता का ब्योरा रहेगा। ये दोनों विभाग आश्रितों का आवेदन सेवा के लिये रोस्टर प्रणाली के जरिये विभागों को आवंटित करेंगे। विभागों की रोस्टर प्रणाली भी निर्धारित की जाएगी।
सूबे की जनता का दिल जीतने की पहल: राष्ट्रवाद की राजनीति करने वाली भाजपा सरकार ने अपने इस फैसले से सूबे की जनता का दिल जीतने की पहल की है। अक्सर किसी शहीद के शव आने पर विलाप करते परिवारीजन और जुटे आसपास के लोग घर-गृहस्थी चलाने को नौकरी की ही मांग पहले उठाते हैं। केंद्र और राज्य सरकारें शहीदों के परिवारीजन की नियमानुसार मदद करती हैं, पर अभी तक उनके आश्रितों को सरकारी नौकरी का प्रावधान नहीं है। उप्र सरकार ने यह पहल करके बड़ा संदेश दिया है। यहां के लोग बड़ी संख्या में सेना और अर्धसैनिक बलों में काम करते हैं। सीमा पर या आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ सेना व अर्धसैनिक बलों द्वारा चलायी जा रही मुहिम में प्रदेश के निवासी जवान बड़ी संख्या में शहीद होते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में दैवी आपदा या बेहद गरीबी के चलते बेघर हुए लोगों को राज्य सरकार आवास मुहैया करायेगी। इसके लिये मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना लागू की जा रही है। मंगलवार को कैबिनेट ने इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी। इसके क्रियान्वयन से वनटांगिया, मुसहरों कालाजार और जापानी बुखार से प्रभावित परिवारों को भी लाभ मिलेगा। ऐसे परिवार जो प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण की पात्रता से आच्छादित हैं लेकिन सामाजिक, आर्थिक एवं जातिगत जनगणना-2011 के आंकड़ों पर आधारित आवासीय सुविधा के लिये तैयार की गई वर्तमान पात्रता सूची में सम्मिलित नहीं हैं, उनको भी इसका लाभ मिलेगा।
सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने बताया कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में दैवी आपदा के शिकार बेघर या जीर्ण-शीर्ण कच्चे आवास में रहने वालों के लिये मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना लागू होगी। इसका शत-प्रतिशत पोषण राज्य सरकार करेगी। मौजूदा अनुमान के मुताबिक इसके लिए 25 हजार परिवार चिह्न्ति किये गये हैं। योजना में लाभार्थियों का चयन वित्तीय संसाधन की उपलब्धता के आधार पर वरीयता के क्रम में होगा। विशिष्ट प्रकरणों में आवासीय सुविधा उपलब्ध कराने का अधिकार मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश को होगा। इस योजना के पात्रों के लिये गाइड लाइन निर्धारित कर दी गई है। योजना के लाभार्थी को एक लाख बीस हजार रुपये और नक्सल प्रभावित इलाकों के लाभार्थी को एक लाख तीस हजार रुपये दिये जाएंगे। इसमें शौचालय निर्माण की भी राशि होगी। इसमें आश्रयहीन परिवार, बेसहारा, भीख मांगने वाले अति निर्धन, मैला ढोने वाले, जनजाति और बंधुआ मजदूर आदि श्रेणी के लोग लाभांवित होंगे।
पात्रता के आकलन के लिये प्रधानमंत्री आवास योजना के नियमों और मानकों के आधार पर सर्वेक्षण होगा। बाढ़, आगजनी के समय भी जिनके घर बर्बाद हो गए उन्हे भी लाभांवित किया जाएगा। बशर्ते प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उन्हें लाभ न मिला हो। सरकार ने यह भी तय किया है कि कई परिवार कालाजार, जापानी बुखार से पीड़ित हैं और प्रधानमंत्री आवास योजना की पात्रता में उनका नाम शामिल नहीं है तो उन्हें भी आवास मुहैया कराया जाएगा। इसके अलावा छत विहीन आश्रयहीन ऐसे लोगों को भी लाभ मिलेगा जिन्हें राजस्व विभाग से आवंटित 95100 रुपये की धनराशि न मिली हो। जो यह धनराशि हासिल किये होंगे, उन्हें इस योजना में पात्र नहीं माना जाएगा। जिन लोगों के एक कमरे के कच्चे मकान हैं और वह किसी लाभ से वंचित हैं तो उन्हें भी इस श्रेणी में शामिल किया जाएगा।