लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने एक मामले की सुनवाई करते हुए, साफ किया है कि टाइपिंग की जानकारी न होने के आधार पर मृतक आश्रित को जूनियर क्लर्क पद पर नियुक्ति देने से इन्कार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने डाइंग-इन हार्नेस रूल्स को स्पष्ट करते हुए कहा है कि यदि मृतक आश्रित को टाइपिंग नहीं आती तो उसे साल भर का समय टाइपिंग सीखने के लिए देते हुए, नियुक्ति दी जाए।
यह आदेश जस्टिस डॉ. डीके अरोड़ा की बेंच ने हरिशंकर अवस्थी की याचिका पर दिया। याचिका में कहा गया था कि याची ने सिंचाई विभाग में जूनियर क्लर्क के पद पर डाइंग-इन हार्नेस रूल्स- 1974 के तहत आवेदन किया था। लेकिन, टाइपिंग न आने के आधार पर याची के आवेदन को खारिज कर दिया गया व चतुर्थ श्रेणी में नियुक्त करने का प्रस्ताव दिया गया। याची ने चतुर्थ श्रेणी के पद पर नियुक्ति तो ले ली लेकिन नियुक्ति प्राधिकारी को प्रार्थना पत्र देते हुए, जुनियर क्लर्क के पद पर नियुक्त किए जाने की मांग की।
वहीं याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार के अधिवक्ता की ओर से कहा गया कि जुनियर क्लर्क के पद पर नियुक्ति के लिए टाइपिंग की जानकारी अनिवार्य शर्त है। इस पर याची की दलील थी कि उससे कभी टाइपिंग सर्टिफिकेट की मांग नहीं की गई। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपने आदेश में कहा कि टाइपिंग के अनिवार्यता की व्यवस्था है लेकिन यह भी व्यवस्था है कि यदि अभ्यर्थी टाइपिंग की जानकारी नहीं रखता तो उसे साल भर में आवश्यक टाइपिंग सीखने की शर्त के साथ नियुक्ति दी जा सकती है।
इसके साथ ही कोर्ट ने याची के आवेदन को खारिज करने वाले अधिशाषी अभियंता के निर्णय को निरस्त कर दिया।