लखनऊ : स्कूलों में दाखिलों का समय जुलाई से खिसक कर अप्रैल में आए कई साल बीत गए लेकिन, इसी मुताबिक किए जाने वाले राज्य कर्मचारियों के ट्रांसफर अब भी जुलाई को आधार मानकर किए जा रहे हैं। अप्रैल में स्कूलों में बच्चों का प्रवेश कराने के बाद जुलाई में किसी और शहर जाने का आदेश कार्मिकों को मुसीबत में डाल रहा है। कर्मचारियों ने मुख्य सचिव राजीव कुमार से इस व्यवस्था में बदलाव लाने और राज्य कर्मचारियों के लिए प्रदेश में स्थायी स्थानांतरण नीति बनाने की मांग की है।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने मुख्य सचिव को हर साल यह तबादले फरवरी में करने का सुझाव दिया है, जिससे मार्च-अप्रैल में स्कूलों का नया सत्र शुरू होने से पहले उन्हें पता हो कि बच्चों का दाखिला किस शहर के स्कूल में कराना है। तबादले के बाद तैनाती के लिए दो महीने का समय दिए जाने की भी मांग की गई है, ताकि कार्मिक मार्च व अप्रैल माह में अपने विभाग में रहकर वित्तीय वर्ष के समापन संबंधी कार्य पूरे कर सकें। परिषद अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी बताते हैं कि शासन अब भी स्कूलों में दाखिले का समय जुलाई मानकर 30 जून तक स्थानांतरण के आदेश जारी करता है, जो कई बार जुलाई-अगस्त तक बढ़ने से कार्मिकों के लिए परेशानी का सबब बन रहा है।
परिषद ने बताया कि पिछले कई दशकों से प्रदेश में कार्मिकों के स्थानांतरण के लिए कोई स्थायी नीति नहीं है। इस वजह से उन्हें हर साल स्थानांतरण नीति का इंतजार करना पड़ता है और वे अनिश्चितता की स्थिति में रहते हैं। परिषद ने मुख्य सचिव को उत्तराखंड सरकार द्वारा जारी स्थायी स्थानांतरण नीति का हवाला भी दिया है।