उत्तर प्रदेश में उच्च न्यायिक सेवा के अधिकारियों की वरिष्ठता सूची रद होने के कारण रुकी पड़ी प्रोन्नतियां शुरू होने का रास्ता खुल गया है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट को मौजूदा वरिष्ठता सूची के आधार पर जिला जजों की तदर्थ प्रोन्नति की इजाजत दे दी है। हालांकि ये प्रोन्नतियां इस मामले में शीर्ष न्यायालय के अंतिम फैसले के अधीन होंगी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 जून 2017 को प्रदेश की उच्च न्यायिक सेवा (हायर ज्यूडिशियल सर्विस) के प्रमोटी और सीधी भर्ती के अधिकारियों की वरिष्ठता सूची रद कर दी थी। हाईकोर्ट ने नए सिरे से वरीयता सूची बनाने का आदेश दिया था। आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इसके अलावा प्रोन्नति का इंतजार कर रहे कुछ जजों ने अलग से याचिका दाखिल की है।
बुधवार को जस्टिस आदर्श कुमार गोयल व जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने मामले पर सुनवाई करते हुए ये अंतरिम आदेश दिए। अदालत ने अर्जियों पर विस्तृत सुनवाई के लिए 24 जनवरी की तिथि तय करते हुए पक्षकारों को संक्षिप्त लिखित दलीलें और अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने की छूट दे दी। कोर्ट ने यह भी कहा कि पक्षकार मामले में और याचिकाएं भी दाखिल कर सकते हैं। आदेश दिया कि इस बीच हाईकोर्ट को मौजूदा वरिष्ठता सूची के आधार पर जिला जजों की तदर्थ प्रोन्नति करने की छूट होगी। हालांकि, ये प्रोन्नतियां शीर्ष कोर्ट के अंतिम फैसले के अधीन होंगी।
इससे पहले हाईकोर्ट की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने अंतरिम आदेश की मांग करते हुए कहा कि जिला जजों के पद खाली पड़े हैं। वरिष्ठता सूची न होने के कारण प्रोन्नति नहीं हो रही है। अन्य वकीलों ने भी कहा कि हाई कोर्ट के आदेश के कारण प्रोन्नतियां रुकी पड़ी हैं, लोग सेवानिवृत होते जा रहे हैं।