बच्चों की जांच में दिक्कत
नई दिल्ली। पंकज कुमार पाण्डेयकेंद्र सरकार ने पोषाहार योजना के तहत राज्यों में हो रही गड़बड़ी को रोकने के लिए रजिस्टर में फर्जी इंट्री की जांच करने को कहा है। असम में मामला पकड़ में आने के बाद सभी राज्यों से रिपोर्ट मांगी गई है। महिला और बाल विकास मंत्रलय में सचिव राकेश श्रीवास्तव ने कहा कि हमने सभी राज्यों से ब्यौरा मांगा है। क्योंकि रजिस्टर में बच्चों की फर्जी इंट्री करके पोषाहार वितरण में गड़बड़ी से रोज लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है।
मजबूत तंत्र बनाने को कहा : महिला व बाल विकास मंत्रलय के सूत्रों ने कहा कि हमारे लिए सही तरीके से लोगों तक लाभ पहुंचाना चुनौती है, क्योंकि राज्यों में गड़बड़ी हो रही है। अगर असम की तरह अन्य राज्यों में भी ऐसे मामलों की पुष्टि हुई तो बड़ा गड़बड़झाला सामने आ सकता है।महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने बताया था कि असम में जांच के बाद करीब तीन लाख बच्चे फर्जी पाए गए। इससे हर रोज तीस लाख रुपये का नुकसान होने की आशंका जताई है। सचिव ने कहा कि अगर तीन लाख बच्चे फर्जी हैं तो इसका मतलब हर रोज करीब 30 लाख रुपये की गड़बड़ी हो रही है। उन्होंने कहा कि हमने सभी राज्यों से कहा है कि वे गड़बड़ी रोकने के लिए जिला स्तर पर मजबूत तंत्र बनाएं।
महिला और बाल विकास मंत्रलय के सूत्रों ने कहा कि हमें पूरी तरह लीकेज रोकने के लिए कड़े इंतजाम करने होंगे। पांच साल से कम बच्चों का आधार बनाना मुश्किल काम है। फिलहाल आईसीडीएस के तहत जन्म से पांच साल तक के बच्चों का भी आधार नंबर लिया जा रहा है। उनका रिकॉर्ड उनकी मां से मिलान करके पोषाहार योजना के तहत लाभ वितरित किया जा रहा है। जिन बच्चों का आधार नंबर लिया जा रहा है उनका बायोमीट्रिक्स पांच साल की उम्र के बाद लिया जाएगा। योजना में अभी 50} के करीब ही लाभार्थियों को आधार से जोड़ा जा सका है।अन्य विकल्प से करें जांचसरकार ने राज्यों से कहा है कि उनके पास सही लाभार्थी का चयन करने के लिए कई तरह के विकल्प हैं। आधार न होने की स्थिति में अन्य पहचान पत्र से मिलान कर लें। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के जरिए लाभार्थी की जांच कराके अचानक अन्य एजेंसियों से क्रास चेक भी करवाया जा सकता है।कमी की शिकायतेंपटना जिले में 850 आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित हो रहे हैं। आंगनबाड़ी केन्द्रों में पोषण केन्द्रों में पोषाहार की कमी की शिकायत कई बार मिली है। एक आंगनबाड़ी केन्द्र में निर्धारित गर्भवती महिला, बच्च और किशोरी के लिए पोषाहार की मात्र निर्धारित होती है।