लखनऊ। बसपा काल में जिन 5300 कर्मचारियों को दलित महापुरुषों से जुड़े स्मारकों और पार्को के सुरक्षा के लिए रखा गया था, उनकी नौकरी पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। उनकी सर्विस इस बार नये सिरे से विस्तार से पहले ब्रेक की जाएगी। जबकि, ऐसा कोई भी नियम नौकरी दिये जाने के समय नहीं बनाया गया था। सामान्य सरकारी कर्मचारियों की सेवा विस्तार की नियमावली में ही इनको लिया गया था। 1शासन को भेजे गए प्रस्ताव के तहत 28 फरवरी-2018 को उनको एक दिन का सर्विस ब्रेक दिया जाएगा।जिससे कर्मचारियों को आशंका है कि उनके सिर पर नौकरी जाने की तलवार अब लटकने लगी है। मार्च में उनकी ज्वाइनिंग एक दिन का सर्विस ब्रेक कर के होगी। जिससे ये स्पष्ट हो गया है कि नये सिरे से उनका परीविक्षा काल यानी प्रोबेशन पीरियड नये सिरे से शुरू हो जाएगा। पिछले छह साल की उनकी नौकरी को शून्य कर के सारी प्रक्रिया नये सिरे से शुरू होगी। ऐसे में किसी भी कर्मचारी को किसी भी दिन बिना पूर्व नोटिस के निकाला जा सकेगा। इसके अलावा कर्मचारियों की वेतन बढ़ोतरी और अन्य मद बढ़ोतरी नये सिरे से तय होंगी। शासन में इस आशय का आदेश जाने से हजारों कर्मचारियों के बीच हड़कंप मच गया है।
2010 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के आदेश पर प्रदेश में कुल 6800 कर्मचारियों को दो साल की अस्थाई सेवा के तहत रखने की अधिसूचना की गई थी। मगर कर्मचारी 5300 ही रखे गए थे। बाद में बचे कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई थी, मगर वह कभी पूरी ही नहीं की जा सकी। इसके बाद लगातार इन कर्मचारियों को प्रत्येक वर्ष सेवा विस्तार दिया जाता रहा, मगर सर्विस ब्रेक कभी नहीं की गई। जिसके चलते ये कर्मचारी महंगाई भत्ता समेत अन्य भत्ते पाते रहे। इसके अलावा लगातार नौकरी करने की वजह से कर्मचारियों की प्रोबेशन भी खत्म हो गई मगर एलडीए उपाध्यक्ष प्रभु एन सिंह ने शासन को पत्र भेजा है, उससे इन कर्मचारियों के होश उड़ गए हैं। कर्मचारियों के वाट्सएप ग्रुपों पर गुरुवार को पत्र की कॉपी फारवर्ड की जाती रही।
कर्मचारियों के लिए माया सरकार में किये गये थे पुख्ता इंतजाम : स्मारक संरक्षण समिति के गठन से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि, कैबिनेट स्तर पर कर्मचारी भर्ती की नियमावली पास की गई थी। जिसमें सेवा विस्तार का उल्लेख था मगर कर्मचारियों को एक दिन का सेवा विस्तार देने जैसा कोई भी प्राविधान नहीं शामिल किया गया था। कर्मचारियों की प्रतिनियुक्ति, समायोजन, संबद्धता पर भी रोक लगाई गई थी।
जरूरत केवल 807 कर्मचारियों की : पदेन सचिव और एलडीए वीसी प्रभु एन सिंह ने अपने पत्र में स्पष्ट कहा है कि साल 2013 में तत्कालीन मुख्य सचिव को जिलाधिकारी लखनऊ ने जो रिपोर्ट भेजी थी, उसमें स्मारकों और पार्को के लिए केवल 807 कर्मचारियों की आवश्यकता जताई थी। मगर इस व्यवस्था को लागू नहीं किया जा सका था। 12011-2012 से लेकर 2015-16 तक लगातार इन कर्मचारियों को हर साल सेवा विस्तार दिया जाता रहा है। मगर इस 2016-17 के वित्तीय वर्ष के लिए अब तक सेवा विस्तार नहीं दिया गया है। इसलिए पदेन सचिव की ओर से भेजे गए पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि 2016-17 में सेवा विस्तार दिया जाए। जबकि, साल 2018-19 का विस्तार देने में 28 फरवरी को एक दिन का सर्विस ब्रेक दिया जाए। इसके बाद उनको मार्च में नये सिरे ज्वाइनिंग दी जाए। जिससे उनकी एक नई नौकरी शुरू की जाएगी।