लखनऊ : पदोन्नति के लिए राज्य कर्मचारियों को तीन श्रेणियों में बांटने की पुरानी व्यवस्था खत्म कर नई गाइडलाइंस बनाने से न सिर्फ अधिकारियों-कर्मचारियों की प्रोन्नति की प्रक्रिया आसान होगी, बल्कि बढ़ा वेतनमान मिलने में पहले आ रही रुकावट भी अब दूर हो जाएगी। राज्य कर्मचारियों ने इस बदलाव के जरिए अपनी पुरानी मांग पूरी करने के लिए प्रदेश सरकार को धन्यवाद दिया है।
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प्रोन्नति के लिए कर्मचारियों का वर्गीकरण पहले अति उत्तम, उत्तम व अनुपयुक्त की तीन श्रेणियों में किया गया था। इसके तहत पहले अति उत्तम श्रेणी के कर्मचारियों का प्रमोशन होता था, फिर उत्तम श्रेणी के कर्मचारियों का नंबर आता था। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी बताते हैं कि उत्तम श्रेणी के कर्मचारियों को प्रोन्नति तो मिल जाती थी लेकिन प्रोन्नति के अवसर न होने पर बढ़ा वेतनमान मिलने में समस्या आ रही थी। इसके अलावा प्रोन्नति में अधिकारियों के विवेक की भूमिका भी कर्मचारियों को अखर रही थी। तिवारी ने बताया कि अब उपयुक्त व अनुपयुक्त की दो श्रेणियां होने से प्रोन्नति और वेतनमान दोनों सहज होंगे, अधिकारियों द्वारा विवेक के इस्तेमाल की गुंजाइश भी नहीं रहेगी।
सचिवालयकर्मियों ने सौंपा ज्ञापन
समूह ‘क’ व ‘ख’ के करीब 82 हजार अधिकारियों का अधिष्ठान संबंधी कार्य विभागाध्यक्षों को हस्तांतरित किए जाने के विरोध में उप्र सचिवालय सेवा के विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों ने मंगलवार को अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा संजय अग्रवाल व प्रमुख सचिव सचिवालय प्रशासन महेश गुप्ता को ज्ञापन सौंपा। उप्र सचिवालय सेवा संगठन समन्वय समिति के संयोजक व उप्र सचिवालय राजपत्रित अधिकारी संघ के अध्यक्ष शिवगोपाल सिंह ने बताया कि बीती 16 नवंबर को संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में गठित समिति ने संघ का पक्ष सुनने के बाद प्रत्यावेदन देने को कहा था, जिस पर यह ज्ञापन दिया गया है। ज्ञापन में सेवा संगठनों ने समूह ‘क’ व ‘ख’ के अधिकारियांे का अधिष्ठान कार्य विभागाध्यक्षों को दिए जाने वाला प्रस्ताव वापस लेने की मांग की है।