लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समूह ‘क’ व ‘ख’ के 81 हजार अधिकारियों के सेवा संबंधी कार्य विभागाध्यक्षों को सौंपे जाने से पहले इस प्रस्ताव का विधिवत परीक्षण करने की बात कही है। सोमवार देर रात इसी विषय पर मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे सचिवालय अधिकारियों ने उनके इस आश्वासन पर संतोष जताया है।
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हस्तांतरण प्रस्ताव का विरोध कर रहे सचिवालय अधिकारियों ने सोमवार को मुख्यमंत्री के सामने अपना पक्ष रखा और राज्यपाल की बजाए विभागाध्यक्षों को नियुक्ति प्राधिकारी बनाने संबंधी प्रस्ताव पर विरोध दर्ज कराया। उप्र सचिवालय सेवा संगठन समन्वय समिति ने सचिवालय में काम का दबाव कम करने के लिए मुख्यमंत्री को सुझाव भी दिए। इसमें सचिवालय के सभी संवर्गो के रिक्त पदों को भरने, विभागों व अनुभागों के बीच काम का समानुपातिक बंटवारा करने, सचिवालय व अनुभाग अधिकारियों के बैठने का स्थान एक भवन में करने, कोर्ट केस की पैरवी के लिए हर विभाग में एक याचिका अनुभाग का गठन करने, मुकदमों की निगरानी के लिए हर विभाग में एक नोडल अफसर नियुक्त करने, मुकदमों के त्वरित निस्तारण के लिए समीक्षा अधिकारी विधि के 100 पद सृजित करने और हर विभाग में सचिव (अधिष्ठान एवं कोर्ट केस) का एक पद सृजित करने के साथ सचिवालय सेवा के अधिकारियों की तैनाती का सुझाव दिया गया है।
समन्वय समिति के संयोजक शिवगोपाल सिंह ने बताया कि सचिवालय में कार्य का दबाव अधिकारियों के सेवा संबंधी मामलों की वजह से नहीं, बल्कि समूह ‘ग’ व ‘घ’ कर्मचारियों के सेवा संबंधी लंबित मामलों में विभागाध्यक्ष कार्यालयों द्वारा अपने दायित्वों का निर्वहन न करने से बढ़ा है।