लखनऊ : लोक निर्माण विभाग ने पचास साल से ऊपर के अधिशासी और सहायक अभियंताओं की स्क्रीनिंग पूरी भले ही कर ली है, लेकिन स्पष्ट निर्देशों के अभाव में यह महज औपचारिकता बनकर रह गई। महज छह अभियंताओं को ही नोटिस जारी हुई, जबकि अवर अभियंताओं की स्क्रीनिंग का काम अभी भी अधूरा है।
सरकार के निर्देश पर लोक निर्माण विभाग ने पचास साल से ऊपर के अभियंताओं की स्क्रीनिंग शुरू की तो पहली समस्या यह आई कि इसका आधार क्या तय किया जाए। शासन ने अपनी ओर से कोई स्पष्ट दिशा निर्देश जारी नहीं किया था। यही वजह थी कि प्रारंभिक स्तर पर निर्धारित की गई तारीख 31 जुलाई तक एक भी नाम तय नहीं किया जा सका। इसके बाद विभाग की ओर से शासन को पत्र भेजा गया कि स्क्रीनिंग के लिए स्पष्ट दिशा निर्देश दिए जाएं। नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग ने स्पष्ट किया कि इसके लिए कोई गाइडलाइन नहीं जारी की जाएगी। विभागाध्यक्ष अपने विवेक से इस पर फैसला करेंगे।
विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि कर्मचारी के कार्यो के आकलन के लिए मुख्य रूप से तीन आधार वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट, लघु दंड और दीर्घ दंड होते हैं। हालांकि यह सब विभागीय कार्यवाहियों का ही हिस्सा हैं। इसकी वजह से असमंजस बरकरार ही रहा। हालांकि, 205 अभियंताओं की स्क्रीनिंग करके शासन को भेज दी गई। इसमें छह को ही नोटिस देने के योग्य पाया गया। विभागीय सूत्रों के अनुसार इसी वजह से अवर अभियंताओं की स्क्रीनिंग आगे नहीं बढ़ पा रही है। विभाग ने नौकरी से लापता 221 अवर अभियंताओं को तो आसानी से चिह्नित कर लिया है लेकिन, स्क्रीनिंग अभी अटकी हुई है।