राज्य मुख्यालय : यूपी में फर्जी शासनादेश जारी होने का सिलसिला रुक नहीं पा रहा है। निकायों में संविदा सफाई कर्मियों की भर्ती पर रोक हटाने और नियुक्ति पत्र जारी करने संबंधी एक ऐसे फर्जी शासनादेश जारी होने का खुलासा हुआ है। शासन को इसको लेकर सफाई देनी पड़ी। यह बताना पड़ा कि निकायों में संविदा सफाई कर्मियों की भर्ती पर 30 दिसंबर 2016 से रोक है।
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प्रमुख सचिव नगर विकास मनोज कुमार सिंह के फर्जी हस्ताक्षर से निकायों में संविदा सफाई कर्मियों की भर्ती शुरू करने के संबंध में एक शासनादेश 13 सितंबर 2017 को जारी किया गया। इसमें कहा गया है कि निकायों में संविदा सफाई कर्मियों की भर्ती के संबंध में हाईकोर्ट में चल रही रिट याचिका खारिज कर दी गई है। इसलिए निकायों में संविदा सफाई कर्मियों की भर्ती के संबंध में अनुमोदित सूची के आधार पर तत्काल नियुक्ति पत्र जारी किया जाए। इसके साथ यह भी लिखा गया है कि इसके संबंध में शासन को जानकारी दी जाए।
नगर विकास विभाग के विशेष सचिव शैलेंद्र कुमार सिंह ने इस फर्जी शासनादेश के बारे में स्थिति स्पष्ट की है। उन्होंने कहा है कि 13 सितंबर को संविदा सफाई कर्मियों के संबंध में जारी पत्र पर प्रमुख सचिव नगर विकास के हस्ताक्षर नहीं हैं। उस पर अंकित हस्ताक्षर पूरी तरह से फर्जी हैं।संविदा सफाई कर्मियों पर रोक संबंधी आदेश प्रभावी है।
इसके पहले भी प्रमुख सचिव नगर विकास के मिलते जुलते हस्ताक्षर से शनिवार को 21 अक्तूबर को अवकाश वाले दिन 30 निकायों के सीटों के आरक्षण के संबंध में एक पत्र जारी किया गया था। इसके पहले 28 सितंबर को ग्राम्य विकास आयुक्त पार्थसारथी सेन शर्मा के मिलते-जुलते हस्ताक्षर से एक फर्जी शासनादेश जारी हुआ था, जिसमें ग्राम रोजगार सेवकों की संविदा समाप्त करने की बात कही गई थी। यूपी में फर्जी शासनादेश के नाम पर लोगों को गुमराह करने का धंधा काफी पुराना है।