लखनऊ : वेतन मिलने में भले ही देर हुई पर दीपावली से पहले बोनस देने की सरकार की घोषणा ने कर्मचारियों में उत्साह भर दिया था। जिन विभागों में वेतन और बोनस दोनों समय से मिल गए, वहां तो कर्मचारियों के परिवारों में पर्व की उमंग के पंख लग गए लेकिन दूसरी तरफ कर्मचारियों का एक बड़ा वर्ग ऐसा भी था, जिन्हें बकाया वेतन भी न मिलने के कारण कम संसाधनों में ही सारे आयोजन करने पड़ गए। हालांकि उत्साह में यहां भी कोई कमी नहीं थी।
प्रदेश सरकार ने पिछले महीने जहां दशहरा व मुहर्रम से पहले सितंबर का वेतन देने की घोषणा की थी, वहीं पिछले दिनों 10 अक्टूबर को दीपावली से पहले बोनस देने का भी ऐलान कर दिया गया था। यह दोनों बातें राज्य कर्मचारियों के त्योहार में चार चांद लगाने जैसी थीं। खुले दिल से कर्मचारियों के सभी वर्गो ने इसका स्वागत किया लेकिन, कुछ विभागों और निगमों के कर्मचारियों के लिए यह आस पूरी नहीं हुई।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री अतुल मिश्र बताते हैं कि जो वेतन 30 सितंबर से पहले मिलना था, वह महराजगंज, ललितपुर, महोबा, कौशांबी, लखीमपुर व औरैया सहित कई जिलों में स्वास्थ्य विभाग के दफ्तरों में दीपावली तक भी नहीं पहुंचा।
कई जिलों में वन विभाग के कर्मचारी भी वेतन का इंतजार करते रह गए। ऐसा ही हाल बोनस का हुआ। 10 अक्टूबर को बोनस की घोषणा के बाद जिस रफ्तार से काम हुआ, उसके नतीजे में प्रदेश के बड़े जिलों और मंडल मुख्यालयों में तो कमोबेश बोनस की रकम बंट गई लेकिन छोटे जिलों में कर्मचारी इसका इंतजार ही करते रह गए। निगमों में तो हालत और भी खराब है। कर्मचारी कल्याण निगम के डिपो और फैमिली बाजारों में कहीं दो तो कहीं तीन महीने से वेतन नहीं मिला है।
अल्पसंख्यक कल्याण निगम में तीन महीने का वेतन बकाया है, जबकि खत्म होने की कगार पर पहुंच चुके यूपीडीसीएल जैसे निगमों में तो कर्मचारियों को वेतन मिले एक साल से भी अधिक बीत गया। जल निगम में भी कर्मचारियों का एक महीने का वेतन बकाया है। गनीमत है कि अगस्त महीने का वेतन यहां पिछले दिनों बंटा है, इसलिए पर्व पर कर्मचारियों के हाथ में पैसा है। हालांकि बोनस बंटे यहां सात साल हो गए।