■ पुरानी पेंशन व्यवस्था केंद्र सरकार के पाले में
राज्य कर्मचारियों की पुरानी पेंशन व्यवस्था की जगह 2005 में नई अंशदायी पेंशन व्यवस्था लागू की गई थी, जबकि कर्मचारियों की मांग पुरानी व्यवस्था बहाल किए जाने की है। मुख्यमंत्री ने बुधवार को कहा कि यह मामला केंद्र सरकार का है और नीतिगत भी है। उन्होंने इस पर उच्च स्तर से निर्णय लिए जाने और प्रकरण पर ध्यान देने का आश्वासन दिया।
लखनऊ : नई सरकार बनने के बाद से ही संवाद का इंतजार कर रहे और बातचीत न होने से भीतर ही भीतर उबल रहे राज्य कर्मचारियों को छह महीने बाद बुधवार को जब यह मौका मिला तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से थोड़ी देर की वार्ता में ही छह महीने की बर्फ पिघल गई। कर्मचारियों के पास शिकायतें तो कई थीं और मांगों की फेहरिस्त भी लंबी थी लेकिन, मुख्यमंत्री ने हर बात पर जवाब दिया और भरोसा दिलाया कि प्रदेश में विकास की गाड़ी जिन कर्मचारियों की बदौलत आगे बढ़नी है, उनका किसी तरह भी अहित या उत्पीड़न नहीं होने दिया जाएगा।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया कि स्क्रीनिंग में उनकी नजर छोटे नहीं, बड़े अधिकारियों पर है। किसी छोटे कर्मचारी पर अन्याय न होने देने के लिए मुख्यमंत्री ने इसकी व्यापक समीक्षा करने को कहा। इसी तरह उन्होंने फील्ड कर्मचारियों को मोटरसाइकिल भत्ता देने की मांग पर भी सहमति जताई। इसके अलावा कैशलेस इलाज की सुविधा सहित अन्य बिंदुओं पर भी वार्ता के बाद परिषद के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री से मिले आश्वासनों पर संतोष जताया।
कर्मचारी नेताओं ने कैशलेस इलाज के लिए तेजी से हेल्थ कार्ड बनवाने, आउट सोर्सिग व संविदा व्यवस्था समाप्त कर सीधी भर्ती करने, पुरानी पंेशन व्यवस्था लागू करने, एसीपी में बहुत अच्छा की बाध्यता समाप्त करने, रिक्त पदों पर भर्ती शुरू करने, विलंब से विनियमित हुए कर्मचारियों की पूर्व में की गई सेवाओं को जोड़कर लाभ देने, अभियान चला कर पदोन्नतियां करने तथा विभागीय विवाद प्रतितोष फोरम को क्रियाशील करने सहित अन्य मांगें भी मुख्यमंत्री के सामने रखीं। मुख्यमंत्री ने हर मामले पर सरकार का रुख स्पष्ट करते हुए कर्मचारियों को आश्वस्त किया और लेखपालों को लैपटाप या स्मार्ट फोन देने और राजस्व निरीक्षकों के पद पर शत प्रतिशत पदोन्नति करने पर कैबिनेट बैठक में निर्णय कराने की बात कही।