नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम फैसले में व्यवस्था दी है कि सेवारत कर्मचारियों का सेवा विवरण, जिसमें उनके स्थानांतरण और पो¨स्टग शामिल हैं, आरटीआई एक्ट की धारा 8 (1)(जे) के तहत व्यक्तिगत सूचनाएं हैं। इन सूचनाओं को आरटीआई अर्जी के तहत सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस आरके अग्रवाल और एमए सप्रे की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि ये सूचनाएं तभी सार्वजनिक की जा सकती हैं, जब इन्हें मांगने वाला व्यापक जनहित का संबंध दर्शाए।
यह फैसला केनरा बैंक की अपील पर दिया है। बैंक ने केरल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की थी। मामले के अनुसार, बैंक के एक कर्मचारी ने पूरे लिपिकीय स्टाफ की 1 जनवरी 2002 से लेकर 31 जुलाई 2004 तक की अवधि के दौरान स्थानांतरण और पो¨स्टग की जानकारी मांगी थी। सूचना अधिकारी ने यह जानकारी देने से मना कर दिया और कहा कि यह सूचनाएं व्यक्तिगत प्रकृति की हैं, जिन्हें आरटीआई की धारा 8(1)(जे) के तहत छूट प्राप्त है। इसके बाद कर्मचारी ने केंद्रीय सूचना आयुक्त (सीआईसी) के यहां अपील की।
सूचना आयुक्त ने बैंक को आदेश दिया कि वह मांगी गई सूचनाएं मुहैया कराए। सीआईसी के आदेश के खिलाफ बैंक हाईकोर्ट गया लेकिन हाईकोर्ट की एकल पीठ और खंडपीठ ने सीआईसी का आदेश बरकरार रखा और बैंक को सूचनाएं उपलब्ध करवाने का निर्देश दिया। इस पर बैंक ने आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट का फैसला पलट दिया और कहा कि मांगी गई सूचनाएं कर्मचारियों की व्यक्तिगत सूचनाएं हैं और उन्हें आरटीआई से छूट प्राप्त है। ये सूचनाएं तभी दी जा सकती हैं, जब याचिकाकर्ता इसके पीछे कोई व्यापक जनहित दिखाए।