■ निविदा शुल्क तथा धरोहर राशि के भुगतान को एसबीआइ से होगा करार
■ सरकार को हर साल पांच हजार करोड़ रुपये बचत होने का अनुमान
लखनऊ : प्रदेश के सभी सरकारी विभागों में शुक्रवार से समस्त शासकीय निविदाएं ई-टेंडरिंग प्रणाली के जरिये आमंत्रित करना अनिवार्य होगा। सरकारी विभागों की ओर से कराये जाने वाले निर्माण कार्यो, सेवाओं/जॉब वर्क, सामग्री की खरीद तथा चालू दर व दर अनुबंध (रेट कांट्रैक्ट) भी ई-प्रोक्योरमेंट/ई-टेंडरिंग के जरिये होंगे। ई-टेंडरिंग की व्यवस्था सभी सरकारी विभागों के साथ ही समस्त सार्वजनिक उपक्रमों/विकास प्राधिकरणों/नगर निगमों/स्वायत्तशासी संस्थाओं/निकायों में लागू होगी। ग्राम और क्षेत्र पंचायतों को फिलहाल ई-टेंडरिंग के दायरे से बाहर रखा गया है।
ई-टेंडरिंग की व्यवस्था को शुक्रवार से अमली जामा पहनाने के लिए शासन ने सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव, विभागाध्यक्षों, मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को जारी कर दिया है।162,852 निविदाएं आमंत्रित : अपर मुख्य सचिव आइटी एवं इलेक्ट्रॉनिकस संजीव सरन ने बताया कि ई-टेंडरिंग के लिए वित्तीय नियमों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। जहां मैनुअल टेंडर होते थे, वहां अब ई-टेंडर की व्यवस्था लागू होगी। ई-टेंडरिंग के लिए एनआइसी के ई-प्रोक्योरमेंट प्लेटफॉर्म का प्रयोग किया जा रहा है।
शासन के इस ई-टेंडर पोर्टल पर अप्रैल से 30 अगस्त, 2017 तक विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा 62,852 निविदाएं आमंत्रित की गई हैं।
■ सरकार को होगी भारी बचत : बकौल अपर मुख्य सचिव आइटी, राज्य सरकार हर साल 60 हजार करोड़ से 70 हजार करोड़ रुपये के काम टेंडर के जरिये कराती है। ई-टेंडरिंग से प्रतिस्पर्धा बढ़ने के कारण रेट में पांच से सात फीसद कमी आने की संभावना है। इस आधार पर राज्य सरकार को ई-टेंडरिंग से प्रत्येक वर्ष 3500 से 5000 करोड़ रुपये तक बचत होने का अनुमान है। 1एसबीआइ से करेंगे करार : प्रदेश में ई-टेंडरिंग प्रणाली के तहत निविदा शुल्क तथा धरोहर राशि का भुगतान इंटरनेट बैंकिंग/एनईएफटी/आरटीजीएस से किया जाएगा।