लखनऊ : विवाह पंजीकरण नियमावली के प्रारंभ होने के बाद संपन्न विवाह या पुनर्विवाह में पति या पत्नी में कोई एक उप्र का स्थायी निवासी हो या उनका विवाह उप्र की सीमा में संपन्न हुआ हो, का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। आवेदन पत्र में पति-पत्नी का आधार नंबर भरा जाना अनिवार्य होगा। ऑनलाइन आवेदन होगा और अभिलेखों के सत्यापन के बाद विवाह पंजीकरण स्वत: ही जनरेट हो जाएगा।
दूसरी, तीसरी शादी का भी होगा रजिस्ट्रेशन : यदि किसी व्यक्ति की दूसरी, तीसरी या चौथी शादी है तो भी उसे पंजीकरण कराना होगा। प्रमुख सचिव महिला कल्याण रेणुका कुमार के अनुसार फार्म में भी यह स्पष्ट कॉलम है कि क्या यह आपकी पहली शादी है। विवाह पंजीकरण का एक उद्देश्य स्त्रियों के अधिकारों की रक्षा करना भी है। कुछ हंिदूू भी दूसरी शादी करते हैं तो उन्हें भी पंजीकरण कराना होगा।
सभी धर्म के लोगों से बातचीत के बाद किया फैसला : प्रदेश सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह का कहना था कि यह फैसला लागू करने के लिए सभी धर्म के लोगों से बातचीत की गई। इस दौरान यह आपत्ति आई कि निकाह के समय फोटो नहीं लगती है। सरकार ने तर्क दिया कि आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और पैन में अगर आप लोग फोटो लगा सकते तो विवाह पंजीकरण में क्यों नहीं। इसके बाद लोग मान गए। यह व्यवस्था सभी के लिए अनिवार्य कर दी गई है।
मुसलमानों के विरोध से नहीं हो सका था लागू : मुस्लिम संगठनों ने इस व्यवस्था का विरोध किया था जिसके चलते सपा सरकार ने इसे लागू नहीं किया। केंद्र द्वारा व्यवस्था लागू करने के बाद, नियमावली बनकर तैयार हो गई थी लेकिन, तभी कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं ने अखिलेश यादव से मिलकर अपना विरोध दर्ज किया था।