इलाहाबाद : इलाहाबाद हाई कोर्ट में 21 अगस्त से दो ई-कोर्ट काम करने लगेंगे। इनमें एक कोर्ट इलाहाबाद जबकि दूसरा लखनऊ बेंच में बैठेगी। दोनों कोर्ट पूरी तरह पेपरलेस होंगे।
इसके लिए पहले से ही 5000 फाइलों को डिजिटलाइज कर लिया गया है। कोर्ट का उद्घाटन 19 अगस्त को होगा। दोनों कोर्ट में कम्पनी मैटर्स, रिवीजन और ट्रांसफर अप्लीकेशन पर सुनवाई होगी। इसे हाईकोर्ट को पेपरलेस बनाने की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है।
इस कोर्ट में जज पूरी तरह पेपरलेस होंगे जबकि, शुरुआत में वकीलों की फाइल की हार्ड कॉपी रखने की छूट दी जाएगी। हाई कोर्ट की कम्प्यूटराइजेशन कमिटी के चेयरमैन जस्टिस दिलीप गुप्ता ने बताया कि इलाहाबाद में जस्टिस अंजनी कुमार मिश्रा और लखनऊ में जस्टिस विवेक चौधरी ई-कोर्ट में बैठेंगे।
हाईटेक युग में ई-कोर्ट के जरिए एशिया का सबसे बड़ा इलाहाबाद हाईकोर्ट पेपरलेस होकर अन्य कार्यालयों के लिए नजीर बनेगा। फाइलों के न गट्ठर होंगे, न अधिवक्ताओं और वादकारियों के हाथ में केस संबंधित कोई कागजी दस्तावेज। बस स्मार्ट फोन पर सारी जानकारियां उपलब्ध होंगी, जिसमें मुकदमों की सुनवाई की तारीख से लेकर आदेश की जानकारी दिखेगी। सिस्टम इस तरह विकसित किया गया है कि वकीलों के मोबाइल फोन में उनके सभी वाद की तारीखें एक क्लिक में दिखेंगी और सुनवाई के बाद हुए आदेश भी डिस्पले होंगे।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में ई-कोर्ट अब संचालित होने जा रही है। इसे पूरी तरह से हाईकोर्ट की ही तकनीकी टीम क्रियान्वित करेगी। हां, इसके लिए कुछ मदद एनआइसी और स्टॉक होल्डिंग कापरेरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड से ली जाएगी। स्टॉक होल्डिंग की टीम के कई वरिष्ठ सदस्य शुक्रवार को ही इलाहाबाद हाईकोर्ट के सूचना और तकनीकी केंद्र (सीआइटी) में आ गए। ई-कोर्ट चालू हो जाने से इलाहाबाद हाईकोर्ट और इसकी लखनऊ पीठ में लंबित कुल नौ लाख मामलों का तेजी से निपटारा होगा। सूचना और तकनीकी केंद्र के कंप्यूटर विभाग के ओएसडी विनोद सिंह रावत की मानें तो बड़े पैमाने पर फाइलों के डिजिटाइजेशन के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट इस देश का सबसे बड़ा हाईकोर्ट होने जा रहा है।
बताया कि देश के विभिन्न प्रदेशों के उच्च न्यायालयों में पहले से ही ई-कोर्ट की सुविधा है, लेकिन वहां इस दिशा में आंतरिक काम ही हो रहा है। 1इलाहाबाद हाईकोर्ट के सूचना और तकनीकी केंद्र के मुताबिक चाहे शिक्षा विभाग के मुख्यालय हों, या फिर केंद्र और राज्य सरकार सहित अन्य प्राइवेट संस्थानों के बड़े दफ्तर। पेपर वर्क लगभग सभी जगह हो रहा है। कुछ विश्वविद्यालय भी पेपरलेस हो चुके हैं लेकिन, इलाहाबाद हाईकोर्ट खुद को पूरी तरह से पेपरलेस करके इन सभी के लिए नजीर बनेगा।
बड़े कमाल की वेब डायरी : ई-कोर्ट का सिस्टम विकसित कर इलाहाबाद हाईकोर्ट के सीआइटी सेंटर ने वकीलों के लिए जो वेब डायरी (एडवोकेट डायरी) तैयार की है वह बड़े कमाल की है। मोबाइल एप के जरिए प्रत्येक वकीलों के फोन पर यह डायरी उपलब्ध होगी, जिसमें वकीलों का एक रोल नंबर निर्धारित कर उसमें उक्त वकील से संबंधित सभी कोर्ट के केस नंबर और तारीखें क्रमवार दिखेंगे।
एक साल से बरती अधिक सक्रियता : ई-कोर्ट शुरू करने को इलाहाबाद हाईकोर्ट की तकनीकी टीम ने हालांकि काफी पहले से इस योजना पर काम शुरू किया था लेकिन, इधर एक साल में अधिक सक्रियता दिखाई। मुख्य न्यायाधीश डीबी भोंसले के निर्देशन में ई-कोर्ट के क्रियान्वयन को अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।
अधिवक्ताओं की होगी वर्कशाप : इलाहाबाद हाईकोर्ट के सूचना तकनीक केंद्र के कंप्यूटर विभाग के ओएसडी विनोद सिंह रावत ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में हजारों वकील हैं। प्रदेश के अन्य सभी जिलों के भी अधिवक्ता कई परिस्थितियों में यहां वकालत करने आते हैं। इन्हें नई तकनीक से जोड़ने और उसे पूरी तरह आत्मसात करने के लिए कार्यशाला का आयोजन कराया जाएगा। कहा कि पहले भी कार्यशाला कराई जा चुकी है, आगे भी होगी ताकि वकीलों को मोबाइल के जरिये ही कोर्ट में दस्तावेजों के दाखिले और संदेश ग्रहण करने की आदत पड़ सके।