⚫ वेतन विसंगतियों की रिपोर्ट वेतन कमेटी ने तैयार की, पर सरकार लेने को तैयार नहीं
⚫ आउटसोर्सिंग में बड़ा भ्रष्टाचार, कर्मचारियों को मिलता है आधा ही वेतन
⚫ पचास साल से ऊपर के कर्मचारियों के जबरिया रिटायरमेंट को लेकर भी नाराजगी
⚫ मुख्यमंत्री ने 22 अप्रैल को मुलाकात में किया था वादा, पर नहीं बुलाई बैठक
राज्य मुख्यालय : प्रदेश के लाखों कर्मचारियों में तमाम मुद्दों को लेकर उबाल है। कर्मचारी संगठनों में सरकार के इधर आए कई आदेशों और फैसलों को लेकर खासी नाराजगी है। यहां तक कि कई कर्मचारी संगठन इन तमाम मुद्दों को लेकर बड़े आंदोलन का ऐलान करने की तैयारी कर रहे हैं। कर्मचारी संगठनों में सबसे बड़ी नाराजगी इस बात की है कि मुख्यमंत्री ने 22 अप्रैल को मुलाकात में अपने स्तर पर बैठक करके उनकी समस्याओं के हल का भरोसा दिलाया था। लेकिन आज तक उन्होंने बैठक नहीं की। सूत्रों का कहना है कि सातवें वेतन कमेटी ने वेतन विसंगतियों की रिपोर्ट तैयार कर ली है, लेकिन सरकार में कोई लेने को तैयार नही है। इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि किसानों की 36 हजार करोड़ की कर्ज माफी और 35 हजार करोड़ सातवें वेतन में इस साल के बजट में बड़ा प्राविधान किए जाने से सरकार की माली हालत ठीक नही है। ऐसे में वेतन विसंगतियों की रिपोर्ट को तत्काल मंजूर किए जाने से उस पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा। यही नहीं, इसके बाद कर्मचारी केंद्रीय भत्ताें की रिपोर्ट देने के लिए सातवें वेतन कमेटी पर दबाव बनाने लगेंगे। क्योंकि केंद्र सरकार भत्ताें की रिपोर्ट स्वीकार कर चुकी है। राज्य सरकार ने कभी भी केंद्र के समान यूपी में भत्ते नहीं दिए हैं। लेकिन इस बार दबाव है। ऐसे में वह चाह रही है कि कुछ समय यह स्थिति टल जाए।
पचास साल से ऊपर के कर्मचारियों को जबरिया रिटायर किए जाने के आदेश को लेकर कर्मचारियों में खासी नाराजगी है। उनका तर्क है कि जो कर्मचारी वाकई काम करने के नाकाबिल हैं, उनको वीआरएस दे दिया जाए। जबरिया रिटायर नहीं किया जाए, क्योंकि छोटे वेतन में ही उनको काफी जिम्मेदारी निभाती पड़ती हैं। कर्मचारियों में इस बात पर भी नाराजगी है कि रेगलुर भर्तियां नहीं की जा रही हैं और कर्मचारी रिटायर होते जा रहे हैं। विभागों में कर्मचारियों की संख्या काफी कम है, जबकि काम बढ़ता ही जा रहा है। रेगुलर भर्ती करने के बजाए सरकार आउटसोर्सिंग पर कर्मचारियों को रख रही है। आउटसोर्सिंग से नियुक्तियों में भारी भ्रष्टाचार है। आधा वेतन ही कर्मचारी को मिलता है, जबकि आधा ठेकेदार और अधिकारी मिलकर बांटते हैं। आउटसोर्सिंग की व्यवस्था को समाप्त करके रेगुलर भर्तियां की जाएं।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश महामंत्री अतुल मिश्र कहते हैं कि वे जल्द ही कर्मचारियों की नाराजगी के मुद्दों पर प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक बुलाने जा रहे हैं। जिसमें आंदोलन का ऐलान हो सकता है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश अध्यक्ष वीपी मिश्र कहते हैं कि मुख्यमंत्री को अपना वादा पूरा करना चाहिए। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के दूसरे गुट के प्रदेश अध्यक्ष हरिराज किशोर तिवारी भी आंदोलन के मूड में हैं। परिषद के तीसरे गुट के कार्यवाहक अध्यक्ष हरिशरण मिश्र भी आंदोलन की रणनीति पर विचार कर रहे हैं। परिषद के चौथे गुट के महामंत्री जेएन तिवारी भी बैठक करने जा रहे हैं।