नई दिल्ली : मोदी सरकार 15 अगस्त से देश के भ्रष्ट बाबुओं के खिलाफ बड़ा सर्जिकल हमला करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए सेंट्रल विजिलेंस कमिशन (CVC), तमाम मंत्रालयों और विभागों से 5 अगस्त तक दागी अधिकारी/कर्मचारियों की लिस्ट मांगी गई है। कर्मचारियों के नाम, उन पर लगे आरोप, जांच की स्थिति और उससे संबंधित दस्तावेज भी उपलब्ध कराने को कहा गया है। पीएम मोदी 15 अगस्त को इस लिस्ट के आधार पर सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार दूर करने की बात कह सकते हैं।
होम मिनिस्ट्री ने 23 जुलाई को सभी मंत्रालयों और विभागों को भेजे लेटर में 5 अगस्त तक ऐसा डॉजियर तैयार करने को कहा है जिसमें केंद्र के तमाम भ्रष्ट कर्मचारियों की पूरी जानकारी हो। सीवीसी की अगुवाई में बनने वाले इस डॉजियर में यह जिक्र भी होगा कि भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद किसी कर्मचारी के खिलाफ क्या विभागीय कार्रवाई हुई। साथ ही भ्रष्ट कर्मचारियों को बचाने वालों की भी पहचान होगी। डॉजियर सीबीआई और ईडी को भेजा जाएगा और वे इसके आधार पर कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होंगे। ऐसे में डॉजियर तैयार होने के बाद हजारों कर्मचारियों के खिलाफ एकसाथ बड़ी कार्रवाई की संभावना है।
सूत्रों के मुताबिक, यह डॉजियर पीएम नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर तैयार हो रहा है। बता दें कि पिछले महीने ही मोदी सरकार ने 50 साल पुराने कानून में बदलाव करते हुए भ्रष्ट कर्मचारियों के खिलाफ जांच को पूरा करने की डेडलाइन 6 महीने तय की थी। ऐसे में एक बार डॉजियर तैयार होने के बाद कार्रवाई में तेजी आने की संभावना है।
■ मोदी का करप्शन पर वार
★ करप्शन के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए पिछले साल 500, 1000 के नोट बंद किए।
★ बेनामी संपत्ति के खिलाफ अभियान। 70 हजार करोड़ की बेनामी संपत्ति की जांच शुरू हुई।
★ ब्लैक मनी निकालने के लिए लोगों को मौका। 60 हजार करोड़ की रकम की जानकारी मिली।
★ डायरेक्ट कैश ट्रांसफर योजना लागू। अब तक 70 हजार करोड़ की बचत होने का दावा।
★ जीएसटी लागू करने के कदम को भी मोदी सरकार ने करप्शन के खिलाफ बताया।
हाल में ही 6 आईपीएस/आईएएस अफसरों की खराब प्रदर्शन के आधार पर बर्खास्तगी के बाद कई और अधिकारियों पर गाज गिरने वाली है। सूत्रों के मुताबिक, करीब 110 आईएएस/आईपीएस अधिकारी सरकार के रेडार पर हैं। इनमें ज्यादातर ऐसे हैं जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। कुछ ऐसे भी हैं, जो विभागीय कानून को नजरअंदाज करते हुए मनमानी करते पाए गए। लिस्ट में करीब 24 गुमशुदा आईएएस अधिकारी भी हैं, जो पिछले कुछ सालों से बिना सूचना के गायब हैं। हाल के दिनों में पीएम मोदी खुद कई बार ब्यूरोक्रेसी के अपेक्षा पर खरा नहीं उतरने पर अपनी चिंता सार्वजनिक तौर पर जता चुके हैं। उन्होंने इनके अंदर आए करप्शन पर भी चेताया था।
■ छोड़ना ही पड़ेगा सरकारी आवास
नई दिल्ली : कानून की कमियों का फायदा उठाकर सरकारी मकानों और बंगलों पर लंबे वक्त तक कब्जा बनाए रखने वालों की अब खैर नहीं। संतरी से लेकर मंत्री तक सभी इस कानून के दायरे में आएंगे। आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने लोकसभा में सोमवार को इस तरह के प्रावधानों वाला विधेयक पेश किया।
विधेयक में प्रावधान किया गया है कि अगर तय अवधि से तीन दिन बाद तक कोई सरकारी मकान नहीं छोड़ता तो संपदा अधिकारियों को अधिकार मिल जाएगा कि वे उन्हें बेदखल करने की प्रक्रिया शुरू कर दें। यही नहीं बिल के जरिए हाई कोर्ट में इस तरह के आदेश को चुनौती देकर स्टे आर्डर लेने की कोशिशों को हतोत्साहित करने के लिए तय अवधि के बाद घर में होने वाली टूट-फूट के लिए भी भुगतान करना होगा। इसके अलावा ऐसे लोग लोकल अदालतों में भी राहत के लिए नहीं जा सकेंगे। शहरी विकास मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि मौजूदा कानून का दुरुपयेाग करते हुए अक्सर लोग अदालतों में चले जाते हैं। इससे मकान खाली कराने में लंबा वक्त लगता है।