जागरण संवाददाता, कानपुर : आयकर रिफंड में धांधली को रोकने के लिए विभाग ने रिफंड की प्रक्रिया में बदलाव किया है। कई नौकरीपेशा लोग गलत दस्तावेज लगा या गलत सूचना देकर फार्म 16 या 16 ए प्राप्त कर लेते हैं, जबकि वह उस कटौती लाभ (डिडक्शन) के अधिकारी नहीं होते। इसके लिए विभाग ने अधिनियम की धारा 143(1)ए में संशोधन किए हैं। 1आयकर विभाग के संज्ञान में आया कि अधिकतर करदाता जारी किए गए फार्म 16 या 16 ए से तुलनात्मक रूप से कम कर योग्य आय घोषित कर रिफंड प्राप्त कर रहे हैं। विभाग को यह भी जानकारी है कि वेतनभोगी कर्मचारी अधिकतर मकान किराया भत्ता, अवकाश यात्र भत्ता और धारा 80 सी से 80 यू के तहत कटौती दस्तावेजों के बिना कटौती कर रहे हैं। इसके लिए आयकर विभाग ने धारा 143(1)ए में संशोधन किया है। इस संशोधन के तहत करदाता को विभाग से सूचना दी जाएगी कि कंपनी द्वारा जारी फार्म 16 और धारा 26 एएस के तहत दिख रही आय में अंतर है। सीए इंस्टीट्यूट सेंट्रल इंडिया रीजनल काउंसिल के पूर्व चेयरमैन विवेक खन्ना के मुताबिक आयकर विभाग ने उचित निर्णय लिया है, कई बार नौकरीपेशा लोग गलत दस्तावेज लगा सरकार को राजस्व की क्षति पहुंचाने की कोशिश करते हैं। इस नियम से गलत प्रक्रिया पर रोक लगेगी।
भेजा जाएगा नोटिस : आयकर पोर्टल में सहायक दस्तावेजों के साथ 30 दिन के भीतर सूचना का उत्तर देने वाले करदाता को धारा 143 (1) ए नोटिस दिया जाएगा। यह अनिवार्य है कि आयकर रिटर्न दाखिल करने के समय या नोटिस की तारीख से 30 दिन के भीतर वास्तविक दस्तावेजों की प्रति स्कैन कर अपलोड करना होगा। फार्म 16 या फार्म 16 ए के अनुसार कर योग्य आय की वास्तविक राशि के आधार पर गणना की जाएगी। यदि करदाता निर्धारित समय के भीतर सूचना का जवाब नहीं देता है तो इसे आयकर विभाग प्रोसेस करेगा।
करदाता कर सकते सत्यापन : विभाग द्वारा करदाता को धारा 143 (1) ए के तहत दी गई नोटिस का सत्यापन करदाता स्वयं भी कर सकते हैं। उनके द्वारा आयकर रिटर्न और फार्म 16 में दी गई सूचना सही है अथवा नहीं।