प्रमुख मांगें जो नहीं पूरी हुईं
’ कर्मचारी संवर्ग को मिलने वाली कैशलेस सुविधा के मामले में भी सरकार कछुआ गति से काम कर रही’ कर्मचारियों व सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए हेल्थ कार्ड अभियान नहीं चलाया गया’ केन्द्रीय कर्मचारियों के भत्ते का निर्धारण होने के बाद प्रदेश के कर्मचारियों को भत्ते नहीं दिये गये’ विभिन्न विभागों और निगमों में रिक्त तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों को नहीं भरा गया
लखनऊ। राज्यकर्मियों के बड़े और मजबूत माने जाने वाले संगठन ने शुक्रवार को पत्रकारवार्ता कर सरकार से टकराव के संकेत दिये हैं। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के पदाधिकारियों का कहना है कि अगर उनकी दस सूत्री मांगों को 23 सितम्बर तक नहीं माना गया तो बड़े आंदोलन की घोषणा की जा सकती है। इसमें ब्लाक से राजधानी तक सड़क पर उतरने का निर्णय लिया जा सकता है।राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी और महामंत्री शिवबरन सिंह यादव ने बताया कि दस सूत्रीय मांगों पर सरकार की बेरुखी और 50 वर्ष की आयु में जबरन और मनमाने तरीके से हो रही सेवानिवृत्ति को देखते हुए अब अपने दिये समय से पहले ही सरकार के खिलाफ आन्दोलन का मूड बना लिया गया है। नवनिर्वाचित सरकार के पदभार ग्रहण करने के बाद राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने नई सरकार को माहौल समझने के लिए छह माह तक का समय देने का बयान दिया था लेकिन कर्मचारियों की जायज मांगों की अनदेखी और शासन स्तर पर हुए कई समझौतों का अनुपालन न करने, अनिवार्य सेवानिवृत्ति को हाथियार बनाकर उसका बेजा इस्तेमाल शुरू हो जाने से राज्यकर्मी नाराज हैं। परिषद ने 23 सितम्बर को प्रान्त व्यापी कार्यकारिणी की बैठक कर ब्लाक स्तर से लेकर राजधानी स्तर तक सरकार के विरुद्ध सड़क पर उतरने का मन बना लिया है। पत्रकार वार्ता में बीके कुशवाहा दिवाकर राय, मनोज श्रीवास्तव, संजीव गुप्ता, बीएस डोलिया, अमरजीत मिश्र सहित अन्य संगठनों के पदाधिकारी मौजूद थे।
पुरानी पेंशन की बहाली नहीं कर रही सरकार : हरिकिशोर तिवारी और शिवबरन सिंह यादव ने संयुक्त रूप से बताया कि जब भाजपा के ही कई सांसद, वर्तमान मंत्री यहां तक की स्वंय मुख्यमंत्री पुरानी पेंशन बहाली की पैरवी कर चुके हैं तो उनकी मुख्य मांग मे शामिल पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल क्यो नहीं कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 50 पार सेवानिवृत्ति के मामले में पारदर्शिता नहीं अपनाई जा रही है।