।इन जिलों के डीएम नहीं मिले : आजमगढ़, बलिया, मऊ, कुशीनगर, देवरिया, महराजगंज, बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, महोबा, जालौन, फतेहपुर, गोंडा, बाराबंकी, बदायूं, बिजनौर, बुलंदशहर, आगरा, मैनपुरी, अलीगढ़, शाहजहांपुर, लखीमपुरखीरी, रायबरेली, मेरठ और कासगंज के कलेक्टर मुख्य सचिव के फोन के समय कार्यालय पर मौजूद नहीं थे। सूत्रों का कहना है कि इनमें से कुछ बाढ़ और कुछ कानून व्यवस्था के लिए कार्यालय से बाहर होने का तर्क दे रहे हैं। दो अधिकारियों ने बीमार होने की जानकारी भेजी है।
लखनऊ : फरियादियों की अनदेखी के कलेक्टरों (डीएम) पर लगने वाले आरोप बुधवार को मुख्य सचिव की जांच में सच साबित हुए। सरकार की प्राथमिकता में शामिल बुंदेलखंड के सात जिलों के डीएम कार्यालय से गैरहाजिर मिले। नाराज मुख्य सचिव ने सभी डीएम को भेजे निर्देश में कहा है कि ‘कलेक्टरों की गैर हाजिरी शासनादेशों की अवहेलना है।’ कुछ के विरुद्ध जल्द कार्रवाई होने के संकेत भी मिले हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हिदायत पर तत्कालीन मुख्य सचिव ने 24 अप्रैल को एक शासनादेश जारी किया था, जिसमें प्रत्येक डीएम को सुबह नौ से 11 बजे तक कार्यालय में मौजूद रहकर जनता की फरियाद सुनने की हिदायत दी गयी थी। पीड़ितों को न्याय और दोषियों को सजा दिलाने का दायित्व भी सौंपा गया था। बावजूद इसके मुख्यमंत्री के जनता दरबार पहुंचने वाले फरियादी डीएम के कार्यालय पर उपस्थित नहीं होने अथवा न्याय दिलाने में दिलचस्पी न लेने का इल्जाम लगाते हैं। विधायक, पूर्व विधायक, पूर्व सांसद भी जिला मुख्यालयों पर न्याय न मिलने का आरोप लगाते आ रहे हैं। हाल के दिनों में मुख्यमंत्री से मिले भाजपा विधायकों ने भी जिलों में सुनवाई न होने की शिकायत की थी। नौकरशाहों पर लग रहे आरोपों की सच्चाई जानने के लिए मुखिया राजीव कुमार ने 17 जुलाई यानी सोमवार को डीएम कार्यालयों पर फोन मिलाया।
75 जिलों में से 26 जिलों के डीएम कार्यालय पर नहीं मिले। कई ने पलट कर यह जानने का प्रयास भी नहीं किया कि मुख्य सचिव कार्यालय से फोन क्यों आया था। इससे नाराज मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों को लिखे पत्र में कहा है कि शासन ने प्रतिदिन सुबह नौ से 11 के बीच जनता की समस्या सुनने और उन्हें निस्तारित करने का आदेश दिया है, मगर इसका पालन नहीं हो रहा है। यह शासन के आदेशों की अवहेलना है। जो डीएम गैर हाजिर पाये गए थे, उनकी कार्य प्रणाली की अलग से जांच कराई जा रही है। संभव है कि कुछ के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।