इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि दैनिक वेतनभोगी कर्मी नियमित कर्मी के लाभ पाने का हकदार नहीं है। नियमानुसार सेवा में नियमित होने से पूर्व की दैनिक वेतनभोगी या तदर्थ सेवाओं की अवधि को वेतन व अन्य लाभों के निर्धारण में शामिल नहीं किया जा सकता। कर्मचारी की सेवा नियमित होने की तारीख से ही पेंशन के लिए 10 साल की नियमित सेवा मानी जाएगी। इससे पूर्व की सेवा अवधि को पेंशन निर्धारण में शामिल नहीं किया जाएगा।
कोर्ट ने कहा है कि यदि किसी कर्मचारी को गलत लाभ दिया गया है तो दूसरे उसका लाभ पाने के हकदार नहीं है। कोर्ट ने कहा है कि सीजनल, कैजुअल, दैनिक वेतनभोगी व तदर्थ सेवाओं को नियमित सेवा नहीं माना जा सकता। बनी सेवा नियमावली के तहत की गयी नियुक्ति ही नियमित सेवा मानी जाएगी। कोर्ट ने लोक निर्माण विभाग में कार्यरत रहे कनिष्ठ अभियंता को पेंशन के लिए दैनिक वेतन पर की गयी सेवा अवधि को वेतन निर्धारण के लिए शामिल करने की मांग अस्वीकार कर दी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति वीके शुक्ल व न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी की खंडपीठ ने राम आसरे यादव की विशेष अपील को खारिज करते हुए दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि उप्र तदर्थ सेवा नियमितीकरण (लोक सेवा की परिधि में आने वाले पदों) नियमावली 1979 के तहत नियमित किये जाने से पूर्व की सेवा अवधि को वेतन निर्धारण में शामिल नहीं किया जाएगा।