नई दिल्ली : राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) में निवेश सिर्फ सेवानिवृत्ति के बाद की योजना के लिए आपको बचत का अनुशासन नहीं सिखाता, बल्कि इसका दूसरा फायदा भी है। इसमें आयकर अधिनयम की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स कटौती का फायदा मिलता ही है। इसके अलावा धारा 80सीसीडी (1बी) के तहत 50,000 रुपये अतिरिक्त निवेश पर अतिरिक्त टैक्स कटौती का फायदा मिलता है। इस तरह टैक्स कटौती का फायदा 2 लाख रुपये तक के निवेश पर मिलता है।
सबसे ऊपरी टैक्स स्लैब वाले आय वर्ग के निवेशक को साल में 61,800 रुपये तक की बचत हो सकती है। इसके साथ ही सिर्फ आप टैक्स बचत के लिए एनपीएस में निवेश करने अथवा नए खाताधारक बनने की सोच रहे हैं तो इसके कुछ महत्वपूर्ण फायदों को जरूर जानें। इसका सर्वाधिक महत्वपूर्ण फायदा यह है कि निवेशक को अपने निवेश के लिए विकल्प चुनने का मौका दिया जाता है।
एनपीएस खाताधारक निवेश के लिए दो विकल्पों में चयन कर सकते हैं। दोनों ही विकल्पों- ऑटो और एक्टिव में निवेशकों का अपने निवेश पर कुछ नियंत्रण होता है।
⚫ ऑटो विकल्प : इस विकल्प को ऐसे खाताधारकों की मदद के लिए रखा गया है, जो अपना आवंटन सुनिश्चित नहीं कर पाते। इसमें खाताधारक के पूरे जीवनकाल के हिसाब से आवंटन बदला जाता है। जैसे एक व्यक्ति 35 साल का होता है तो उसका ज्यादा फोकस शेयरों पर होता है। इसके बाद जैसे-जैसे उसकी उम्र बढ़ती है (55 साल तक) उसका फोकस कम होता जाता है। उदाहरण के लिए- 35 साल की आयु तक ऑटो विकल्प के तहत क्लास ई में 50 फीसदी, क्लास सी में 30 फीसदी और क्लास जी में 20 फीसदी का आवंटन होता है। सेवानिवृत्ति का समय आते-आते इन्हीं तीनी क्लास में निवेश आवंटन क्रमश: 10 फीसदी, 10 फीसदी और 80 फीसदी हो जाता है।
⚫ एक्टिव विकल्प : इसमें निवेशक खुद आवंटन चुन सकता है। क्लास ई में सर्वाधिक 50 फीसदी तक और न्यूनतम 5 फीसदी निवेश की सीमा यहां भी लागू होगी। अपना फंड मैनेजर चुनने के बाद आप दायरे में निवेश के लिए कोष का आवंटन कर सकते हैं। निवेशक चाहें तो अपनी पूरी पेंशन राशि को सरकारी प्रतिभूति अथवा निश्चित आय वाले साधन में निवेश कर सकता है।