लखनऊ : राज्य कर्मचारियों के इलाज में अब धन की बाधा नहीं रहेगी और वह देश के कुछ चुनिंदा अस्पतालों में भी आसाध्य रोगों का इलाज करा सकेंगे। माना जा रहा है कि एक मई से यह सुविधा राज्य कर्मचारियों को मिलने लगेगी। सरकार ने ‘स्टेट हेल्थ कार्ड’ बनाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। राज्य कर्मचारी परिषद ने इसे कर्मचारियों के हित में बड़ा फैसला बताया है।
कैशलेस इलाज लागू कराने को लेकर सरकार और हाईकोर्ट में पैरवी करने वाले राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरि किशोर तिवारी, महामंत्री शिवबरन सिंह यादव, वरिष्ठ उपाध्यक्ष यदुवीर सिंह, समंवयक भूपेश अवस्थी ने बताया कि सरकार प्रक्रिया को पूर्ण करते हुए एक मई निश्चित की गई है इसके लिए हर माह के प्रथम सप्ताह में सभी विभाग समीक्षा करेंगे। ताकि समय सीमान्तर्गत कार्यवाही पूर्ण होकर कर्मचारियों को लाभ मिलना शुरू हो जायेगा। उन्होंने बताया कि यह सुविधा भारत वर्ष में कही भी राज्य कर्मचारियों को उपलब्ध नहीं है। इस सुविधा को पाने के लिए राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने वर्ष 2013 में दिन अपनी मांगों को लेकर 11 दिन की महाहड़ताल भी की गई थी,जिसमे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने चार मांगों को तत्काल मानकर कर्मचारियों और सरकार में आपस से विश्वास पैदा करने के निर्देश दिये थे सरकार ने चार मांगे चिन्हित की थी उनमें राज्य कर्मियों को असाध्य रोगों पर कैशलेस इलाज की सुविधा निजी अस्पतालों में कराने हेतु सहमति दी थी लेकिन सरकार ने सुविधा तोड़ मरोड़कर लागू करने का प्रयास किया था, लेकिन परिषद के दबाव में सरकार को झुकना पड़ा था।
इनका इलाज बड़े निजी अस्पतालों में होगा : समस्त प्रकार के कैंसर, समस्त प्रकार के हृदय रोग,डायलिसिस और गुर्दा प्रत्यारोपण सहित समस्त प्रकार के गुर्दा रोग, दीर्घकालीन यकृत रोग और यकृत प्रत्यारोपण, यकृत सरक्षा प्रक्रिया और तात्कालिक उपचार, अल्पकालिक अत्यन्त गंभीर यकृत रोग,घुटने और कूल्हे का बदलाव, प्रोस्टेट ग्लैंड सर्जरी, कार्निया प्रत्यारोपण। इसके अलावा अन्य इलाजों का भी उपचार होगा।