ब्राह्मण को SC गोद ले, तो उसे भी मिलेगा आरक्षण:
क्या कोई ऐसा आदमी अनुसूचित जाति का आरक्षण पाने का हकदार है जिसका जन्म तो ब्राह्मण परिवार में हुआ हो लेकिन उसे बाद में अनुसूचित जाति के पैरंट्स ने गोद ले लिया हो? पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाया है कि ऐसे व्यक्ति को आरक्षण का लाभ मिलेगा और उसे आरक्षण नीतियों के अंतर्गत सरकारी नौकरी देने से मना नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने यह फैसला संगरूर निवासी रात्ज़ भारती की एक याचिका पर दिया। भारती को 20 साल एक सरकारी स्कूल में बतौर अध्यापक नौकरी करने के बाद पंजाब सरकार ने बर्खास्त कर दिया था क्योंकि उनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था और उन्हें एक अनुसूचित जाति के दंपती ने गोद लिया था।
भारती के बायलॉजिकल पिता तेज राम ने अपनी पत्नी की मौत के बाद दूसरी शादी कर ली। 1977 में उन्होंने अपने बेटे यानी भारती को चांद सिंह और उनकी पत्नी भानो, जो कि अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखते हैं, को पंचायत और रिश्तेदारों की उपस्थिति में गोद दे दिया।