नई दिल्ली : अलग-अलग सरकारी विभागों में एक जैसे पद पर कार्यरत कर्मचारी एक समान वेतन का दावा नहीं कर सकते। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति चंद्रशेखर की खंडपीठ ने अपने फैसले में यह स्पष्ट किया है। अदालत स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रलय के अंतर्गत कार्यरत नॉन मेडिकल स्टाफ की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
याची का आरोप है कि उन्हें पांचवें वेतन आयोग के मुताबिक बढ़ा हुआ वेतनमान नहीं मिल रहा है। हालांकि, अदालत ने उनकी याचिका रद कर दी। अदालत ने याची के तर्क को भी स्वीकार नहीं किया कि वह ‘समान कार्य समान वेतन’ के सिद्धांत पर वेतन नहीं मांग रहा। उसकी मांग केवल पांचवें वेतन आयोग को सही ढंग से लागू कराने की है।
जिम्मेदारी अलग तो वेतन एक कैसे :
अदालत ने स्पष्ट कहा कि अलग-अलग विभाग में एक जैसे पद पर कार्यरत सरकारी कर्मचारियों के अधिकार एक-दूसरे से भिन्न होते हैं। इनकी जिम्मेदारियां और कर्तव्य भी अलग होते हैं। ऐसे में कर्मचारियों पर ‘समान कार्य समान वेतन’ लागू नहीं होता।
एक पद पर 17 वेतनमान : अदालत ने माना कि याची ने पांचवें वेतन आयोग की रिपोर्ट में दिए लेबोरेट्री स्टाफ के अर्थ को समझने में चूक की है।