⚫ प्रमाण पत्र की अनिवार्यता के विरोध में उतरे राज्य कर्मचारी
⚫ 27 जनवरी को विरोध में पूरे प्रदेश में निकालेंगे मशाल जुलूस
लखनऊ : वेतन वृद्धि और एसीपी के लाभ के लिए अति उत्तम यानी वैरी गुड का प्रमाण पत्र प्राप्त करने की शर्त मानने को राज्य कर्मचारी तैयार नहीं हैं। इसे तुगलकी आदेश ठहराते हुए कर्मचारियों को आशंका है कि इससे चाटुकारिता बढ़ेगी और सिफारिशी लोगों को ही इसका लाभ मिलेगा। इस व्यवस्था के विरोध में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने 27 जनवरी को पूरे प्रदेश में काला फीता बांध कर मशाल जुलूस निकालने की चेतावनी दी है।
परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने बताया कि सातवें वेतन आयोग की संस्तुति में शामिल केंद्र सरकार की इस शर्त को राज्य सरकार ने भी लागू करने की संस्तुति दे दी है, लेकिन यह आदेश कर्मचारियों के शोषण का कारण बनेगा। परिषद के समन्वयक भूपेश अवस्थी, महामंत्री शिवबरन सिंह यादव और वरिष्ठ उपाध्यक्ष यदुवीर सिंह ने बताया कि प्रदेश के राज्य कर्मचारियों की प्रतिवर्ष वार्षिक गोपनीय आख्या (एसीआर) लिखी जाती रही है, लेकिन जब भी एसीपी या पदोन्नति प्रदान करते समय पिछले वर्षो की गोपनीय आख्या की जरूरत होती है तो विभाग आख्या उपलब्ध कराने में नाकाम रहता है। इससे कर्मचारियों को दिक्कत का सामना करना पड़ता है, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वेतन वृद्धि और एसीपी के लिहाज से अति उत्तम प्रमाण पत्र हासिल करना राज्य कर्मचारियों के लिए कितना दुष्कर होगा।
कर्मचारी नेताओं के मुताबिक शासन द्वारा समय-समय पर स्पष्ट और चेतावनी भरे आदेश-निर्देश जारी किए जाने के बावजूद आज भी वार्षिक प्रविष्टि न दिया जाना जारी है, जिसकी वजह से एसीपी व अन्य लाभ के लिए कर्मचारियों को ही जूझना पड़ता है। ऐसे में अति उत्तम प्रमाण पत्र की अनिवार्यता से कर्मचारियों का शोषण बढ़ेगा। परिषद पदाधिकारियों ने कहा कि विरोध प्रदर्शन के बाद भी शासन ने आदेश वापस नहीं लिया तो बड़े आंदोलन की तैयारी की जाएगी।