⚫ तीन विभागों ने निदेशक मण्डल से प्रस्ताव संस्तुति करा शासन को भेजा
लखनऊ । उत्तर प्रदेश के निगमों में कर्मचारियों को सातवां वेतन देने की कवायद शुरू हो गयी है। तीन निगमों ने शासन निदेशक मण्डल से वेतन आयोग देने की संस्तुति कराकर शासन भेज दिया है जबकि आधा दर्जन निगमों में निदेशक मण्डल से संस्तुति कराने की की कवायद चल रही है। उत्तर प्रदेश में विधान सभा को लेकर चुनाव आचार संहिता लागू होने से निगमों में सातवां वेतन देने के लिए निदेशक मण्डल से संस्तुति ली जा रही है, वर्ना निगमों में बोर्ड यह निर्णय लेता था।
वित्त विभाग ने निगमों में सातवां वेतमान लागू करने के लिए पुरानी व्यवस्था को लागू करने का निर्णय लिया है, जिससे दस निगमों को सातवां वेतनमान मिलने की आशा पर पानी फिर गया है। उत्तर प्रदेश राज्य निगम कर्मचारी महासंघ ने प्रदेश के निगमों के कर्मचारियों को सातवां वेतनमान देने के लिए शासन से लेकर वेतन आयोग तक प्रयास किया था लेकिन वित्त विभाग ने 16 अक्टूबर 2009 के शासनादेश के तहत निगमों को सातवां वेतनमान देने का निर्णय लिया है।
इस शासनादेश के अनुसार लाभ वाले निगमों में ही कर्मचारियों की वेतन वृद्धि होगी। अभी तक लाभ वाले 26 निगमों में छठा वतेनमान मिल रहा है। वर्तमान में दो निगमों को पांचवां तथा आठ निगमों में चौथा वेतनमान मिल रहा है। शासन के निर्णय से इन दसों निगमों में सातवां वेतनमान मिलने की उम्मीद समाप्त हो गयी है। निगमों में सातवां वेतनमान देने के लिए बोर्ड से प्रस्ताव पास कराने का प्रावधान है। निगम के बोर्ड की अध्यक्षता चेयरमैन करता है और अधिकतर निगमों में राजनीतिक व्यक्ति चेयरमैन है इसलिए चुनाव आचार संहिता लागू होने से बोर्ड अब प्रस्ताव पारित नहीं कर सकता है।
.सातवां वेतन देने के प्रस्ताव को निगमों में गठित निदेशक मण्डल को पास करना होगा। बीज विकास निगम, वन निगम तथा अनुसूचित जाति एवं वित्त विकास निगम ने निदेशक मण्डल से कर्मचारियों को सातवां वेतन देने के प्रस्ताव पर संस्तुति देकर शासन को भेज दिया है। उत्तर प्रदेश राज्य निगम कर्मचारी महासंघ के महामंत्री मनोज मिश्र ने बताया कि आधा दर्जन अन्य निगमों में सातवां वेतन देने के प्रस्ताव को निदेशक मण्डल से संस्तुति देने की प्रक्रिया चल रही है।
चुनाव आचार संहिता लागू होने से निगमों में सातवां वेतनमान लागू करने की प्रक्रिया जलिट हो गयी है।तीनों निगमों ने सातवां वेतन देने के प्रस्ताव को अपने-अपने विभाग में शासन को भेजा है। विभाग प्रस्ताव को वित्त विभाग भेजेगा। वित्त विभाग सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो से अनुमोदन लेने के बाद प्रस्ताव को पास करेगा। वित्त विभाग से प्रस्ताव फिर निगम के शासकीय विभाग आएगा। इसके बाद शासकीय विभाग सातवां वेतन देने का शासनादेश जारी करेगा।
चुनाव आचार संहिता लागू न होने पर निगम के शासकीय विभाग से प्रस्ताव इम्पार्वड कमेटी जाता। इम्पार्वड कमेटी से संस्तुति मिलने पर शासकीय विभाग शासनादेश जारी कर देता। निगमों में निदेशक मण्डल में 12 से 15 सदस्य हैं। निदेशक मण्डल के तीन चौथाई सदस्यों की स्वीकृति के बाद ही प्रस्ताव शासकीय विभाग भेजा जा सकता है। ऐसे में निगमों में सातवां वेतनमान के प्रस्ताव को लागू कराने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। निगम कर्मचारी महासंघ का कहना है कि राज्यकर्मियों को एक जनवरी 2006 से छठा वेतनमान मिला था। काफी संघर्ष के बाद सबसे पहले छठा वेतनमान का लाभ 13 जनवरी 1010 को उत्तर प्रदेश समाज कल्याण निर्माण निगम को मिला। इसके बाद धीरे-धीरे अन्य निगमों के कर्मचारियों को छठा वेतनमान का लाभ मिला।
सभी निगमों में प्रक्रिया पूरी होने के बाद निवर्तमान तिथि से छठे वेतनमान का लाभ मिलना शुरू हुआ। अब तक 26 निगमों में छठा वेतनमान मिल रहा है। जिन निगमों में छठा वेतनमान मिल रहा है, उन निगमों 1 जनवरी 2006 से लागू होने की तिथि तक के बकाये का भुगतान अभी तक नहीं हुआ है। ऐसे में निगमों में देर से सातवां वेतनमान लागू होने से कर्मचारियों को पूर्व की भांति आर्थिक हानि होगी।