लखनऊ : सूबे के 21 लाख कर्मचारियों और पेंशनरों को सातवें वेतन की सौगात देने की कवायद एक कदम और आगे बढ़ी है। सातवें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों को प्रदेश के विभिन्न वर्गों के कर्मचारियों पर लागू करने के बारे में विचार करने के लिए गठित राज्य वेतन समिति ने अपनी पहली रिपोर्ट बुधवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सौंप दी है। सूत्रों के मुताबिक राज्य वेतन समिति ने अपनी रिपोर्ट में विभिन्न वर्गों के कर्मचारियों के लिए प्रस्तावित सातवें वेतन के ढांचे को केंद्र सरकार के समान रखने की सिफारिश की है।
अध्यक्ष जी.पटनायक की अगुआई में राज्य वेतन समिति के सभी सदस्यों ने मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर जाकर उन्हें अपनी रिपोर्ट सौंपी। इस मौके पर प्रमुख सचिव वित्त अनूप चंद्र पाण्डेय भी मौजूद थे। सूत्रों के अनुसार समिति ने सातवें वेतनमान को पहली जनवरी, 2016 से लागू करने की सिफारिश की है। राज्य वेतन समिति की रिपोर्ट मिलने पर सरकार इस पर जल्द ही कैबिनेट की मुहर लगवाएगी। सरकार को यह तय करना होगा कि रिपोर्ट की सिफारिशों को कब से लागू करना है।
चुनावी साल होने के कारण माना जा रहा है कि सरकार जल्दी से जल्दी कर्मचारियों को सातवें वेतन की सौगात देना चाहेगी। उम्मीद जतायी जा रही है कि सरकार नये साल की शुरुआत यानी जनवरी में कर्मचारियों को यह तोहफा दे सकती है। सातवें वेतन की सिफारिशें पहली जनवरी 2016 से लागू होनी हैं, इसलिए सरकार को कर्मचारियों को दिये जाने वाले एरियर के भुगतान की प्रक्रिया भी तय करनी पड़ेगी। राज्य सरकार ने छठवें वेतनमान के समय कर्मचारियों को एरियर का भुगतान तीन सालाना किस्तों में किया था। पहली किस्त में कुल एरियर का 20 प्रतिशत और बाकी दो किस्तों में 40-40 प्रतिशत का भुगतान हुआ था। भत्ताें को लेकर केंद्रीय आयोग ने कोई सिफारिश नहीं की है, इसलिए राज्य वेतन समिति भी अपने पहले प्रतिवेदन में इस पर खामोश है।