इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार की विशेष अपील को निस्तारित कर मंगलवार को आदेश दिया कि प्रदेश में तैनात होमगार्डो को पुलिस कर्मियों के न्यूनतम वेतनमान के बराबर उन्हें वेतनमान दिया जाए। हाईकोर्ट के दो जजों की खंडपीठ के इस आदेश से प्रदेश में तैनात लगभग एक लाख 17 हजार होमगार्डो को पुलिस कर्मियों की भांति उनके न्यूनतम वेतनमान के बराबर वेतन पाने का रास्ता साफ हो गया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति वीके शुक्ला व न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी की खंडपीठ ने एकल जज के आदेश के खिलाफ दायर उत्तर प्रदेश सरकार की विशेष अपील पर पारित किया। एकल जज ने होमगार्डो की याचिका पर कुछ माह पूर्व आदेश दिया था कि उन्हें भी पुलिस कांस्टेबिलों के न्यूनतम वेतनमान के बराबर सरकार वेतन दे।
सरकार की अपील पर बहस करते हुए अपर महाधिवक्ता कमल सिंह यादव का तर्क था कि एकल जज ने सुप्रीम कोर्ट के जिस निर्णय का हवाला देकर होमगार्डो को पुलिस कांस्टेबिलों के न्यूनतम वेतनमान के बराबर वेतन देने का निर्देश दिया है, उस आदेश में पुलिस कांस्टेबिल शब्द नहीं है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने ‘पुलिस पर्सनेल’ शब्द प्रयोग किया है। इस कारण कोर्ट से अपर महाधिवक्ता की मांग थी कि एकल जज के आदेश में कांस्टेबिल की बजाए पुलिस पर्सनल शब्द जोड़कर आदेश संशोधित किया जाए।