इलाहाबाद : सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के क्रम में केन्द्रीय कर्मचारियों को मिलने वाले भत्ताें के लिए गठित कमेटी का कार्यकाल फरवरी तक बढ़ाए जाने से कर्मियों में खासी निराशा है। जब कमेटी का गठन हुआ तो दिसंबर तक का समय दिया गया था। लेकिन विमुद्रीकरण के कारण कमेटी का कार्यकाल फरवरी तक बढ़ा दिया गया है।
इसका सबसे अधिक नुकसान इस दौरान रिटायर होने जा रहे कर्मचारियों का हैं। एक अनुमान के मुताबिक प्रत्येक कर्मचारी को औसतन पांच से नौ हजार रुपए तक का प्रतिमाह नुकसान हो रहा है। कन्फेडेरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट इम्प्लाइज एंड वर्कर्स के सहायक महासचिव सुभाष चन्द्र पांडेय कहते हैं कि केन्द्र सरकार शुरू से हीलाहवाली कर रही है। अब भत्ताें के लिए गठित कमेटी की रिपोर्ट देने की समय सीमा बढ़ाने से साफ हो गया है कि सरकार कर्मचारियों को उनका हक देना नहीं चाहती।