लखनऊ : विधानसभा चुनाव से पहले सातवें वेतनमान की संस्तुतियों का तोहफा देकर सरकार भले ही कर्मचारियों को खुश मान लेने की खुशफहमी पाले हो, लेकिन वेतनमान का फार्मूला देखकर कर्मचारी संगठन उखड़ गए हैं। इस वेतनमान को उन्होंने अधिकारियों को लाभ और तृतीय व चतुर्थ कर्मचारियों को धोखा देने वाला कदम करार दिया है।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने इस पर कड़ा विरोध जताते हुए कर्मचारियों के बीच पूरी बात रख कर दूध का दूध और पानी का पानी करने की चेतावनी दी है।
परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने बताया कि सातवें वेतनमान के मौजूदा फामरूले से तृतीय श्रेणी कर्मचारियों के वेतन में 6.64 फीसद और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के वेतन में महज 3.48 प्रतिशत की वृद्धि होगी, जबकि इसी फामरूले से अधिकारियों का वेतन 21.07 फीसद तक बढ़ जाएगा। वेतनमान देने में आने वाले व्यय भार का बड़ा हिस्सा अधिकारियों पर खर्च होने के बावजूद पूरा व्यय तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों पर दिखा कर जनमानस में कर्मचारियों के प्रति दुष्प्रचार किया जा रहा है।
परिषद के जेएन तिवारी गुट ने सातवां वेतनमान लागू करने पर तो आभार जताया, साथ ही लंबित निर्णय पर असंतोष भी जताया। उधर ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने का स्वागत करते हुए ऊर्जा निगमों में अभियंताओं को पहले की तरह प्रारंभिक वेतन वृद्धियां देकर तत्काल वेतन पुनरीक्षण लागू करने की मांग की है।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के एसपी तिवारी गुट ने नए वेतनमान में प्रथम श्रेणी अधिकारियों व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के वेतन का अंतर और बढ़ने पर असंतोष जताया है। उप्र कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष वीपी मिश्र व अन्य पदाधिकारियों ने सातवां वेतनमान लागू करने पर मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया।