इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि एक पद रिक्त है तो उसे प्रोन्नति से नहीं भरा जा सकता। इसके साथ ही कोर्ट ने विधिवत चयनित लिपिक को हटाकर उसे अन्य पद पर समायोजित करने तथा उसी कॉलेज के चतुर्थ श्रेणी कर्मी को लिपिक पद पर प्रोन्नति देने के एकलपीठ के फैसले को गलत करार देते हुए रद कर दिया है।
कोर्ट ने लिपिक पद पर चयनित व्यक्ति को सेवा जनित परिलाभों के साथ बहाल करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति वीके शुक्ल तथा न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी की खंडपीठ ने ब्रrा कुमार सक्सेना की विशेष अपील को स्वीकार करते हुए दिया है।
मालूम हो कि प्रबंध समिति ने सुखदेई बालिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मंदिर महेबा, इटावा के एकमात्र लिपिक पद का विज्ञापन निकाला जिस पर अपीलार्थी का चयन होने के बाद नियुक्ति की गयी। इसी कॉलेज में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मी अमर सिंह ने आपत्ति की कि यह पद प्रोन्नति से भरा जाय जिसे क्षेत्रीय निरीक्षक गल्र्स स्कूल ने अस्वीकार करते हुए अपीलार्थी की नियुक्ति अनुमोदित कर दी। इसे याचिका में चुनौती दी गई। कोर्ट में सवाल उठा कि एक पद को प्रोन्नति से नहीं भरा जा सकता। यदि ऐसा किया गया तो यह सौ फीसदी आरक्षण होगा।
एकलपीठ के समक्ष कहा गया कि चतुर्थ श्रेणी कर्मी के खिलाफ हत्या जैसे अपराध हैं जिसमें सजा के खिलाफ अपील लंबित है। याची चतुर्थ श्रेणी कर्मी की तरफ से कोर्ट को गुमराह किया गया कि वह आपराधिक मामले में बरी हो चुका है। कोर्ट ने कहा कि एकलपीठ को गुमराह कर आदेश प्राप्त किया गया। याची जमानत पर है। सजा पर रोक नहीं है। ऐसा व्यक्ति सेवा में बने रहने लायक नहीं है। कोर्ट ने कहा विधिवत नियुक्तकर्मी को हटाकर प्रोन्नति से पद भरने का आदेश विधि सम्मत नहीं है। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है।