लखनऊ : प्रदेश सरकार ने कर्मचारियों, पेंशनरों को कैशलेस इलाज की सुविधा देने का अहम फैसला किया है। इलाज के लिए अग्रिम राशि सीमा 75 से बढ़ाकर 95 फीसद तक कर दी गई है। कर्मचारी अब पीजीआइ, लोहिया, रिम्स सैफई, सरकारी मेडिकल कालेजों के अलावा राज्य के बाहर के सूचीबद्ध चिकित्सालयों में भी इलाज करा सकेंगे।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई कैबिनेट ने उप्र सरकारी सेवक (चिकित्सा परिचर्या) (द्वितीय संशोधन) नियमावली को मंजूरी प्रदान कर दी। इससे राज्य कर्मचारियों एवं पेंशनभोगी पीजीआइ, डा.राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, ग्रामीण आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) सैफई व इन जैसे अन्य राजकीय अस्पताल, राजकीय धन से पोषित चिकित्सा संस्थान में इलाज कराने पर उनके चिकित्सा अधीक्षकों द्वारा हस्ताक्षरित, सत्यापित बिल की पांच फीसद राशि का भुगतान लाभार्थी द्वारा किया जाएगा और 95 प्रतिशत राशि का भुगतान सरकार द्वारा किया जाएगा।
अब चिकित्सा बिल सीएमओ या अन्य किसी अधिकारी से सत्यापित कराने की आवश्यकता नहीं होगी। यदि लाभार्थी 05 प्रतिशत राशि वहन करने को सहमत नहीं है, उस स्थिति में चिकित्सा बिल का पूर्व में लागू व्यवस्था केअनुसार स्वास्थ्य अधिकारियों से बिल सत्यापित एवं प्रतिहस्ताक्षरित कराने के बाद भुगतान किया जाएगा। आपात स्थिति में प्रदेश के बाहर के सूचीबद्ध चिकित्सालयों मे इलाज कराने पर सीजीएचएस (सेन्ट्रल गर्वेमेंट हेल्थ स्कूम) की दरों पर प्रतिपूर्ति होगी। पूर्व में राज्य कर्मचारियों को इलाज की राशि का 75 प्रतिशत अग्रिम मंजूर करने का नियम था, जिसकी सीमा 95 प्रतिशत कर दी गयी है।