☀ विकास के कामों में अभी खर्च होता है बजट का 21 फीसदी
☀ दिन-प्रति-दिन कमजोर हो रही आर्थिक स्थिति
27 लाख कर्मचारियों, अधिकारियों, शिक्षकों और पेंशनरों को सातवें वेतन का लाभ देने से प्रदेश की आर्थिक स्थिति का डगमगाना तय है। सातवां वेतन का लाभ देने से करीब 18 हजार करोड़ रुपये सालाना का खर्च आएगा। इसका सीधा असर सूबे के विकास के कामों पर पड़ना तय माना जा रहा है। अभी तक विकास के कामों पर बजट का 21 फीसदी हिस्सा खर्च होता है। इस हिस्से का घटना अब तय है।
यदि चुनावी साल नहीं होता तो शायद सरकार सातवां वेतन देने से पहले सोचती। अभी तक यूपी सरकार अपने कर्मचारियों, अधिकारियों, शिक्षकों और पेंशनरों पर कुल बजट का 35 फीसदी वेतन और पेंशन के मद में धन खर्च करता है। 26 फीसदी वेतन पर और नौ फीसदी पेंशन पर लेकिन वेतन और पेंशन के मद में करीब 15 फीसदी (14.25) फीसदी वृद्धि के बाद अब बजट का 50 फीसदी खर्च करना होगा। इसका सीधा असर विकास के कामों पर लगने वाली धनराशि पर पड़ सकता है। विकास के कामों की धनराशि के हिस्से में कोई कमी न आने पाए, इसके लिए नई सरकार को निश्चित रूप से नए टैक्स लगाने पड़ सकते हैं। अन्यथा विकास के कामों की धनराशि घट जाएगी। यूपी सरकार की आर्थिक स्थिति पहले से ही ठीक नही है।
31 मार्च 2017 तक यूपी के ऊपर करीब 5 लाख करोड़ रुपये का लोन हो जाएगा। यूपी सरकार पर 1,61,202 करोड़ का कर्ज वित्तीय संस्थाओं का है जबकि 3,02,383 करोड़ रुपये का कर्ज केंद्र सरकार का है। करीब 37 हजार करोड़ का कर्ज अन्य संस्थाओं से लिया गया है। वर्ष 2016-17 में यूपी सरकार ने 1,45,635 करोड़ रुपये का प्रावधान अपने कर्मचारियों, अधिकारियों, शिक्षकों और पेंशनरों व ब्याज की मद में किया है जबकि 2015-16 में यूपी सरकार ने इन मदों में 1,31,255 करोड़ का प्रावधान किया था। यानी सरकार ने इस वित्तीय वर्ष में पिछले साल के मुकाबले करीब 14 हजार करोड़ का ज्यादा प्राविधान किया है। इससे इस वित्तीय वर्ष में पड़ने वाले महीनों का सातवां वेतन और पेंशन आसानी से बंट जाएगा लेकिन इसका असर आगे पड़ेगा। देखने की बात यह होगी कि इस मद में केंद्र सरकार मदद देती है या नहीं। अर्थशा�ी आशंका जता रहे हैं कि यदि केंद्र ने मदद नहीं की तो अगले साल से विकास कार्यों पर असर निश्चित पड़ेगा।