☀ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि मृतक या अक्षम व्यक्ति आश्रित कोटे में नियुक्ति तात्कालिक राहत के लिए
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि मृतक या अक्षम व्यक्ति आश्रित कोटे में नियुक्ति तात्कालिक राहत के लिए की जाती है ताकि परिवार अचानक आयी आपदा का सामना कर सके। यह नियम किसी को रोजगार पाने का वैकल्पिक जरिया नहीं देता। कोर्ट ने अक्षम कर्मी के आश्रित की नियुक्ति में 23 साल की देरी को देखते हुए हस्तक्षेप करने से इन्कार करते हुए विशेष अपील खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण टण्डन तथा न्यायमूर्ति संगीता चन्द्रा की खण्डपीठ ने संजीव कुमार शर्मा की विशेष अपील पर दिया दिया है।
याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता एएन त्रिपाठी ने बहस की। उनका कहना था कि अपीलार्थी के पिता यूपी एसआरटीसी में बुकिंग क्लर्क थे। पिता राजपाल शर्मा शारीरिक रूप से अक्षम हो गये तो बेटे ने आश्रित नियुक्ति की अर्जी दी। हाईकोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि अक्षमता स्थायी नहीं है। याची के पिता 30 सितम्बर 97 को सेवानिवृत्त हुए। इस दौरान वह वेतन पाते रहे या नहीं इसका उल्लेख नहीं किया गया है। इस आदेश को अपील में चुनौती दी गयी। इस दौरान 23 साल बीत गये। लम्बा समय बीत जाने पर कोर्ट ने अपील पर हस्तक्षेप से इन्कार कर दिया।