लखनऊ : वेतन विसंगति दूर करने सहित कुल 18 मांगों को लेकर राज्य कर्मचारियों, शिक्षकों और शिक्षणोत्तर कर्मचारियों ने करीब सवा महीने बाद फिर हड़ताल का बिगुल फूंक दिया है। मंगलवार से वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं। हालांकि सोमवार देर शाम मुख्य सचिव राहुल भटनागर ने आंदोलित कर्मचारियों के साथ वार्ता में मौखिक सहमति जताई, लेकिन देर रात तक लिखित समझौता जारी न होने पर हड़ताल का आह्वान करने वाले कर्मचारी - शिक्षक संयुक्त मोर्चा ने मंगलवार से प्रदेश भर में 20 लाख से अधिक कर्मचारियों और शिक्षकों के हड़ताल पर रहने की घोषणा कर दी।
मोर्चा अध्यक्ष वीपी मिश्र और संयोजक सतीश कुमार पांडेय ने सोमवार शाम बताया कि राज्य सरकार के दफ्तरों, निगमों, निकायों, प्राधिकरणों और अस्पतालों में शत-प्रतिशत हड़ताल की तैयारी कर ली गई है। सोमवार दोपहर जवाहर भवन में इस बाबत हुई सभा में कर्मचारी नेताओं ने दावा किया कि लखनऊ में हड़ताल के दौरान पीजीआइ, केजीएमयू, बलरामपुर अस्पताल, सिविल अस्पताल, लोहिया अस्पताल, सीएमओ कार्यालय व स्वास्थ्य भवन में रोजमर्रा के काम के साथ इमरजेंसी चिकित्सा और पोस्टमार्टम का काम भी ठप कर दिया जाएगा।
कर्मचारी नेताओं ने मंगलवार रात से रोडवेज बसों का चक्का जाम करने की भी चेतावनी दी है। कर्मचारियों ने जवाहर भवन इंदिरा भवन परिसर में तालाबंदी कर यहीं सुबह सभा बुलाई है। पिछले महीने अगस्त में भी राज्य कर्मचारियों व शिक्षकों के एक गुट ने 10 व 11 तारीख को दो दिन की हड़ताल की थी। तब तत्कालीन मुख्य सचिव दीपक सिंघल से वार्ता के बाद समझौता हुआ था। इसका लिखित कार्यवृत्त भी जारी हुआ था, लेकिन कर्मचारियों के अन्य गुटों ने मांगें पूरी न होने का तर्क देते हुए सभी मांगों को लेकर फिर से हड़ताल की घोषणा कर दी थी।
पिछले महीने हड़ताल करने वाला राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद का हरिकिशोर तिवारी गुट इस बार की हड़ताल से अलग है, लेकिन परिषद से जुड़े कई संगठन मंगलवार से होने वाली कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा की हड़ताल में शामिल हैं।
अब कार्यवृत्त का इंतजार : सोमवार शाम को मुख्य सचिव राहुल भटनागर से वार्ता के बाद कर्मचारी नेता देर रात तक मुख्य सचिव की ओर से लिखित समझौते का इंतजार करते रहे। कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चे के पदाधिकारियों ने बताया कि यदि मंगलवार को वार्ता का समयबद्ध कार्यवृत्त जारी होगा, तो हड़ताल पर पुनर्विचार किया जाएगा।