राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) की ओर से पारित एक प्रस्ताव में कहा गया कि अन्य पिछड़े वगरें (ओबीसी) के साथ सामान्य श्रेणी के निराश्रय अनाथ बच्चों को भी सरकारी स्कूलों में दाखिले और सरकारी नौकरियों में 27 फीसद आरक्षण मिलना चाहिए।
आयोग के सदस्य अशोक सैनी ने बताया, आयोग ने पिछले हफ्ते प्रस्ताव पारित किया जिसमें कहा गया है कि जिन बच्चों ने अपने माता और पिता दोनों खो दिए हैं और 10 साल से कम उम्र के हैं, उन्हें ओबीसी सूची में शामिल किया जाए और उन्हें अन्य ओबीसी जातियों के साथ आरक्षण के लिए पात्र बनाया जाए।
सैनी ने कहा कि इसकी शर्त यह है कि इन निराश्रय अनाथ बच्चों का ख्याल रखने वाला कोई अभिभावक नहीं हो और वे किसी सरकारी या सरकारी सहायता प्राप्त अनाथालय एवं स्कूलों में दाखिल हों। उन्होंने बताया कि प्रस्ताव की प्रति सामाजिक न्याय मंत्रालय को भेज दी गई है। सूत्रों के मुताबिक, आयोग के प्रस्ताव पर शीर्ष राजनीतिक प्राधिकारी के स्तर पर विचार किया जाएगा और इसमें कैबिनेट की मंजूरी की जरूरत पड़ सकती है।
तमिलनाडु में पिछले तीन साल से निराश्रय अनाथ बच्चों को राज्य ओबीसी सूची के तहत आरक्षण दिया जा रहा है। तमिलनाडु ने केंद्र से भी अनुरोध किया है कि वह केंद्रीय ओबीसी सूची में अनाथों को शामिल करे। तमिलनाडु के अलावा तेलंगाना और राजस्थान ऐसे दो राज्य हैं जिन्होंने अनाथों और निराश्रय बच्चों को राज्य ओबीसी सूची में शामिल किया है। एक ऐसा ही कदम उठाते हुए आयोग ने पहले सिफारिश की थी कि ओबीसी को मिलने वाले 27 फीसदी आरक्षण के दायरे में ट्रांसजेंडरों को भी आरक्षण दिया जाए।